पूर्वोत्तर में भी लहराया भगवा परचम, बीजेपी की रणनीति के 10 पहलू

आखिर बीजेपी ने कौन सी रणनीति अपनाई जो 25 साल पुरानी लेफ्ट सरकार को त्रिपुरा से उखाड़ दिया है. वहीं नागालैंड में बीजेपी अपनी सहयोगी के साथ सरकार बनाने की ओर अग्रसर दिखाई दे रही है. उधर, मेघालय में कांग्रेस की सरकार 10 सालों से थी और इस बार वहां त्रिशंकु विधानसभा दिखाई दे रही है.

पूर्वोत्तर में भी लहराया भगवा परचम, बीजेपी की रणनीति के 10 पहलू

पूर्वोत्तर में एक रैली में पीएम नरेंद्र मोदी.

नई दिल्ली: त्रिपुरा में बीजेपी ने लेफ्ट की 25 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका है. यहां पर कांग्रेस का जैसे सफाया हो गया है. बीजेपी 2/3 बहुमत की ओर बढ़ रही है. वहीं पर पिछली बार बीजेपी को 1.54 प्रतिशत वोट मिले थे और इस बार सरकार बनाने की ओर बीजेपी आगे बढ़ती जा रही है. इसी के साथ बीजेपी ने यह भ्रम भी तोड़ दिया कि बीजेपी केवल हिंदी भाषी राज्यों की पार्टी है. बीजेपी ने यह साबित कर दिया है कि वह पैन इंडिया यानी पूरे भारत की पार्टी है. आखिर बीजेपी ने कौन सी रणनीति अपनाई जो 25 साल पुरानी मानिक सरकार को त्रिपुरा से उखाड़ दिया है. वहीं नागालैंड में बीजेपी अपनी सहयोगी के साथ सरकार बनाने की ओर अग्रसर दिखाई दे रही है. उधर, मेघालय में कांग्रेस की सरकार 10 सालों से थी और इस बार वहां त्रिशंकु विधानसभा दिखाई दे रही है. बीजेपी यहां पर भी इस कोशिश में है कि वहां पर बीजेपी की सरकार बने.

बीजेपी की रणनीति के 10 बिंदू

  1. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने दो सालों से इन चुनावों को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी. अपने नेताओं को वहां पर पूरी तरह से लगा दिया. पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों के बीच भेजा और कई वरिष्ठ नेताओं ने वहीं पर डेरा जमा लिया था.

  2. बीजेपी ने यहां पर एंटी लेफ्ट वोट पर ध्यान केंद्रित किया. पिछले चुनाव में लेफ्ट को 51 फीसदी मिले थे. बीजेपी ने लेफ्ट के वोट में सेंधमारी की और नीचे के स्तर पर काम किया. राज्य में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी ने अपने प्रदर्शन से यह पहले की साबित कर दिया है.

  3. लेफ्ट की हार का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि लोगों में लेफ्ट की सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ गई थी. आरोप लगते रहे हैं कि लेफ्ट की सरकार ने पार्टी के काडर और अपने लोगों को फायदा पहुंचाया. बाकी सब को अलग कर दिया जाता है. लेफ्ट की सरकारों पर हमेशा से ही यह आरोप लगते रहे हैं. लेफ्ट की पेट्रोनेज पॉलीटिक्स करती रही है. बीजेपी ने लोगों को यही दिखाया समझाया.

  4. चुनाव में माना गया कि कांग्रेस पहले भी मजबूती के साथ चुनाव नहीं लड़ी और इस बार भी इतनी मजबूती दिखाई नहीं दी. अकसर कांग्रेस अलायंस के सहारे चुनावी वैतरणी पार करती रही है. बीजेपी ने इसका फायदा उठाया. वैसे बीजेपी अभी तक अपने हर चुनाव को काफी सीरियसली लेकर लड़ती आ रही है. यहां पर भी बीजेपी ऐसा ही किया.

  5. इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी की रणनीति बेहतर साबित हुई है. पार्टी के अध्यक्ष से लेकर पार्टी के कार्यकर्ता तक ने काफी मेहनत की है. जमीनी स्तर पर पार्टी ने मेहनत की जिसका नतीजे पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियों में दिखाई दिया.

  6. जानकारों का यह भी कहना है कि लोगों में पीएम मोदी की इमेज भी अच्छी है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मोदी डिसीसिव हैं. यानी वे निर्णय लेना जानते हैं और उन्हें लागू करना जानते हैं. लोगों ने नोटबंदी से इस बात को जोड़ कर देखा. बीजेपी ने पीएम मोदी की सरकार की उपलब्धियां यहां पर लोगों को बताईं.

  7. इसके अलावा सबसे अहम कारण पे कमीशन की घोषणा भी है. त्रिपुरा में चौथा पे कमीशन जारी है. बीजेपी ने 7वें वेतन आयोग की बात कही है. यही वादा कांग्रेस पार्टी ने भी किया है. लेकिन कहा जा रहा है कि लोगों को बीजेपी की बात पर ज्यादा भरोसा है. बता दें कि वहां पर सरकारी कर्मचारी अच्छे खासे वोटर हैं.

  8. बीजेपी को राज्य में मिल रही बड़ी सफलता के पीछे महिला और युवाओं का बीजेपी को समर्थन रहा है. राज्य में महिलाओं में बीजेपी के प्रति रुझान बढ़ा है. इतना है नहीं युवाओं को भी बीजेपी से ज्यादा उम्मीदें है. इसलिए युवाओं ने भी बीजेपी का साथ दिया है. लेफ्ट शासन से युवा काफी खफा हैं. गौर करने की बात है कि राज्य में मानिक सरकार की विश्वविश्नीयता पर कोई सवाल नहीं उठा है. लेकिन, लोग बहुत नाराज हैं.

  9. नागालैंड में लेफ्ट ने इतना बुरा प्रदर्शन नहीं किया. यहां पर बीजेपी स्वीप नहीं कर पाई. लेफ्ट भी काडर बेस्ड पार्टी है. बावजूद इसके इस बार लोगों ने बीजेपी को भी एक विकल्प के रूप में स्वीकार किया है. बीजेपी लोगों को यह बताने में कामयाब रही है कि वह एक विकल्प के तौर पर है और बेहतर शासन दे सकती है.

  10. कहा जा रहा है कि एनपीएफ के खिलाफ लोगों की नाराजगी है, फिर भी लोगों ने वोट दिया और पार्टी को इतना नुकसान नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि चर्च के फादर के बीजेपी को वोट न देने के आह्वान का भी असर पड़ा है. कई जगह बीजेपी को एंटी क्रिश्चियन बताया गया है. बीजेपी की कट्टरवादी हिंदू पार्टी होने की छवि के चलते पार्टी को यहां कुछ नुकसान हुआ है.