दागी नेताओं को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, कोर्ट ने कहा- बिना सजा के चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता, फैसले की 10 बातें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूषित राजनीति को साफ करने के लिए बड़ा प्रयास करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने संसद को एक कानून लाना चाहिए ताकि जिन लोगों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं वो पब्लिक लाइफ में ना आ सकें.

दागी नेताओं को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, कोर्ट ने कहा- बिना सजा के चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता, फैसले की 10 बातें

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राजनीति में अपराधीकरण को लेकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों का संविधान पीठ ने कहा कि करप्शन एक नाउन है. चीफ जस्टिस ने कहा कि करप्शन राष्ट्रीय आर्थिक आतंक बन गया है. भारतीय लोकतंत्र में संविधान के भारी मेंडेट के बावजूद राजनीति में अपराधीकरण का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि कानून का पालन करना सबकी जवाबदेही है. कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. पब्लिक लाइफ में आने वाले लोग अपराझ राजनीति से ऊपर हों. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. कोर्ट ने इस फैसले से दागी नेताओं को राहत मिली है. कोई ने कहा है कि सिर्फ़ आरोप तय होने से किसी को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है और बिना सज़ा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बातें

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क़ानून बनेगा तभी अपराधी राजनीति से दूर होंगे और वक़्त आ गया है कि संसद जल्द क़ानून बनाए. 

  2. स‍ंविधान पीठ ने कहा कि पैसा, बाहुबल को राजनीति से दूर रखना संसद का कर्तव्य है और राजनीतिक अपराध लोकतंत्र की राह में बाधा है.  कोर्ट ने कहा है कि उम्मीदवारों को लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. 

  3. उम्‍मीदवारों को फ़ॉर्म में मोटे अक्षरों में चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी और पार्टियों को भी आपराधिक केसों की जानकारी देनी होगी. पार्टियां इन जानकारियों को वेबसाइट पर डालेंगी, इनका प्रचार करेंगी. 

  4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूषित राजनीति को साफ करने के लिए बड़ा प्रयास करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने संसद को एक कानून लाना चाहिए ताकि जिन लोगों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं वो पब्लिक लाइफ में ना आ सकें.

  5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को इस कैंसर का उपचार करना चाहिए और ये लोकतंत्र के लिए घातक होने से पहले नासूर नहीं है.

  6. कोर्ट ने कहा कि पांच साल से ज़्यादा सज़ा वाले मुकदमों में चार्ज फ्रेम होने के साथ ही जनप्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता. उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक नहीं.

  7. पार्टियों को चुनाव से पहले नामांकन के बाद तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उम्मीदवारों के सभी रिकॉर्ड की तफसील से प्रकाशित प्रसारित करानी होगी. कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कर्तव्य है कि वो मनी एंड मसल पावर को राजनीति से दूर रखे. 

  8. कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का अपराधीकरण चिंतित करने वाला है. आपराधिक मामलों में मुकदमों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों को आरोप तय होने के स्तर पर चुनाव लड़ने के अधिकार से प्रतिबंधित करना चाहिए या नहीं इस सवाल को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह फैसला दिया. 

  9. पांच जजों की ये संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया जिसमें जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ़ नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे. 

  10. आपको बता दें कि 1518 नेताओं पर केस दर्ज हैं जिसमें 98 सांसद हैं. नेताओं पर 35 पर बलात्कार, हत्या और अपहरण के आरोप हैं. महाराष्ट्र के 65, बिहार के 62, पश्चिम बंगाल के 52 नेताओं पर केस दर्ज हैं.