ब्रिटिश संसद में पीएम मोदी की बातों पर सांसदों ने खूब लगाए ठहाके - दस खास बातें

ब्रिटिश संसद में पीएम मोदी की बातों पर सांसदों ने खूब लगाए ठहाके - दस खास बातें

ब्रिटिश संसद में संबोधन के बाद खड़े होकर तालियों के साथ पीएम मोदी का अभिवादन करते सांसद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश संसद की रॉयल गैलरी से अपने संबोधन के दौरान कुछ मौकों पर ब्रिटिश सांसदों और उनके साथियों को काफी गुदगुदाया। उन्होंने कभी मशहूर फुटबॉलर डेविड बेकहम तो कभी भांगड़ा का जिक्र कर सांसदों को हंसाया।

पढ़ें यहां कही दस गुदगुदाती बातें

  1. अपने लिए संसद के दरवाजे खोलने के लिए ब्रिटिश संसद के स्पीकर का शुक्रिया अदा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं इस बात से सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि मैं ब्रिटिश संसद में बोल रहा हूं।

  2. इसके साथ ही उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है। प्रधामनंत्री कैमरन सुकून और राहत महसूस कर रहे हैं। पीएम मोदी की इस बात पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा।

  3. पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री कैमरन को 'फिर एक बार, कैमरन सरकार' वाले नारे की याद दिलाई जिससे इस साल के ब्रिटिश चुनाव में कैमरन ने इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा, 'मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, प्रधानमंत्री जी कि एक चुनावी नारे के लिए आप पर मेरी रॉयल्टी बकाया है।'

  4. प्रधानमंत्री ने कहा कि कई ऐसी चीजें हैं जिस पर यह कहना बड़ा मुश्किल है कि वे ब्रिटिश हैं या भारतीय। उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर जगुआर या स्कॉटलैंड यार्ड। ब्रूक बांड चाय हो या मेरे दोस्त दिवंगत लॉर्ड गुलाम नून की करी।'

  5. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लॉर्ड्स और इडन गार्डंस की पिचों को लेकर बहस करते हैं। उन्होंने कहा, सबसे जोरदार बहस यह होती है कि लॉर्ड्स की पिच बहुत अजीब तरीके से स्विंग करती है या ईडन गार्डंस की विकेट में दरारें जल्दी पड़ जाती हैं।

  6. हमें लंदन का भंगड़ा रैप खूब भाता है, जैसे आपको भारत के अंग्रेजी नॉवेल पसंद हैं। भारत में हर युवा फुटबॉलर (बेंड इट लाइक बेकहम) बेकहम जैसा बनना चाहता है।

  7. मैं लंदन आकर बेहद खुश हूं। आज की इस वैश्विक दुनिया में भी लंदन में अभी भी हमारे समय का मानक है। यह मानव उपलब्धि में निपुणता का प्रतिनिधित्व करता है।

  8. मैं बस इतना कहूंगा कि भारत के कई स्वतंत्रता सेनानी और संस्थापक यहां के संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की। जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक इस दरवाजे से गुजरे हैं।

  9. इससे पहले मैंने संसद के बाहर लगी महात्मा गांधी की मूर्ति को पुष्पांजलि अर्पित की। मुझसे इस मूर्ति के यहां तक आने के बारे में पूछा गया। मैंने कहा ब्रिटिश उन्हें पहचानने के लिए पर्याप्त बुद्धिमान थे और भारत उन्हें साझा करने के लिए पर्याप्त उदार...

  10. हमारे बीच अपनेपन की एक सहजता है। भारत ब्रिटेन में यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा निवेश करता है, क्योंकि उन्हें यहां का माहौल जाना-पहचाना लगता है।