राफेल डील पर कब, किसके साथ और कौन था बैठकों में शामिल, जानें ये 20 बड़ी बातें

केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने को लेकर अनिच्छुक था और उसने कहा था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है. न्यायालय अब दोनों दस्तावेजों पर गौर करेगा और बुधवार को सुनवाई करेगा.

राफेल डील पर कब, किसके साथ और कौन था बैठकों में शामिल, जानें ये 20 बड़ी बातें

राफेल डील पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हैं दस्तावेज

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल सौदे पर मई 2015 से अप्रैल 2016 के बीच भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) की 74 बैठक हुईं जिनमें से 26 फ्रांसीसी पक्ष के साथ थीं. आईएनटी का गठन 36 राफेल विमानों की खरीद के लिये नियम व शर्तों पर बातचीत के लिये किया गया था. आईएनटी की अध्यक्षता वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) कर रहे थे और इसमें संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (एयर), संयुक्त सचिव (रक्षा ऑफसेट प्रबंधन शाखा), संयुक्त सचिव और अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार, वित्त प्रबंधक (एयर), सलाहकार (लागत) और सहायक वायुसेना प्रमुख (योजना) भारत सरकार की तरफ से सदस्य के तौर पर शामिल थे. इसमें कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व महानिदेशक आयुध (डीजीए), फ्रांस सरकार का रक्षा मंत्रालय कर रहे थे. केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया, ‘‘आईएनटी और फ्रांसीसी पक्ष के बीच बातचीत मई 2015 में शुरू हुई और अप्रैल 2016 तक जारी रही. बातचीत के दौरान कुल 74 बैठकों में से 48 बैठकें आईएनटी की आंतरिक थी जबकि 26 बैठकें फ्रांसीसी पक्ष के साथ हुईं.

राफेल सौदा : 20 बड़ी बातें

  1. केन्द्र ने राफेल विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया. 

  2. केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया' का पूरी तरह पालन किया गया और "बेहतर शर्तों" पर बातचीत की गयी थी. 

  3. इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की.

  4. सरकार ने 14 पृष्ठों के हलफनामे में कहा है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है. 

  5. इस हलफनामे का शीर्षक ‘‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण'' है. 

  6. एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने बताया कि विभिन्न आपत्तियों के मद्देनजर सौदे के मूल्य का ब्यौरा न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में दायर किया गया. अधिकारी अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे.

  7. दस्तावेज में कहा गया है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है. 

  8. मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने 24 अगस्त, 2016 को उस समझौते को मंजूरी दी जिस पर भारत और फ्रांस के वार्ताकारों के बीच हुयी बातचीत के बाद सहमति बनी थी. 

  9. 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार थी. दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि इसके लिये भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया था.

  10. जिसने करीब एक साल तक फ्रांस के दल के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकारी, मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति, की मंजूरी भी ली गयी. 23 सितंबर 2016 को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए.  

  11. राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था.    

  12. दस्तावेज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दोहराए गए आरोपों का भी जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसाल्ट एविएशन को मजबूर किया ताकि उसे 30,000 करोड़ रुपये ‘‘दिए जा सकें.''

  13. इसमें कहा गया है कि रक्षा ऑफसेट दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनी ऑफसेट दायित्वों को लागू करने के लिए अपने भारतीय ऑफसेट सहयोगियों का चयन करने के लिए स्वतंत्र है. 

  14. दस्तावेज में विस्तार से कहा गया है कि क्यों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस सौदे में ऑफसेट पार्टनर बनने में नाकाम रही क्योंकि दसाल्ट के साथ उसके कई अनसुलझे मुद्दे थे. 

  15. कांग्रेस ने कहा था कि राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई.     

  16. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक तरह से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से विचार-विमर्श नहीं किया गया है. क्या अनुबंध देने के बाद विचार-विमर्श करेंगे या पहले करेंगे?''    

  17. सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार राफेल मामले पर लोगों को गुमराह कर रही है. राफेल सौदे की जांच के लिये अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और फिर अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिकाएं दायर कीं. 

  18. इसके बाद, आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी अलग से एक याचिका दायर की.  

  19. पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक संयुक्त याचिका दायर की है.

  20. वहीं आज राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट के लिए सीईओ ने कहा है कि अंबानी को उन्होंने खुद चुना है इसमें किसी का कोई रोल नहीं है. 


इनपुट : भाषा से भी

डिस्क्लेमर : अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने NDTV पर राफेल सौदे की कवरेज को लेकर 10,000 करोड़ रुपये का मुकदमा किया है.