सुप्रीम कोर्ट में जानिए कैसे खारिज हुई रफाल डील की याचिका, केस से जुड़ीं 10 बातें जानें

विपक्षी दलों सहित कांग्रेस राफेल डील पर कथित घोटाले को लेकर सरकार पर मुखर होकर हमले करती रही

सुप्रीम कोर्ट में जानिए कैसे खारिज हुई रफाल डील की याचिका, केस से जुड़ीं 10 बातें जानें

राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार को राहत मिली है

नई दिल्ली: राफेल (Rafale) डील के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सवाल उठाने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई( CJI Ranjan Gogoi) ने कहा कि राफेल विमानों की खरीद पर कोर्ट दखल नहीं दे सकता. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सौदे की प्रक्रिया में क्लीन चिट देते हुए कहा कि विमानों की खरीद को लेकर भी कोर्ट दबाव नहीं बना सकता. देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा, 'पसंद का ऑफसेट पार्टनर चुने जाने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है, और व्यक्तिगत सोच के आधार पर रक्षा खरीद जैसे संवेदनशील मामलों में जांच नहीं करवाई जा सकती. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार को भारी राहत पहुंची है. दरअसल, विपक्षी दलों सहित कांग्रेस राफेल डील पर कथित घोटाले को लेकर सरकार पर मुखर होकर हमले करती रही. जिससे कई बार सरकार को असहज भी होना पड़ता था. हर आरोप पर सरकार को सफाई पेश करनी पड़ती थी.

10 बड़ी बातें

  1. राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक प्रकार से क्लीन चिट दे दी है. देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा, 'हम सरकार को 126 विमान खरीदने पर विवश नहीं कर सकते, और यह सही नहीं होगा कि कोर्ट केस के हर पहलू की जांच करे... कीमत की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है...'

  2. देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा, राफेल डील में पसंद का ऑफसेट पार्टनर चुने जाने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है, और व्यक्तिगत सोच के आधार पर रक्षा खरीद जैसे संवेदनशील मामलों में जांच नहीं करवाई जा सकती...

  3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमें ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली, जिससे लगे कि कमर्शियल तरीके से किसी खास कंपनी को लाभ दिया गया..."सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम इस बात से संतुष्ट हैं कि प्रक्रिया पर संदेह करने का अवसर नहीं है... कोई भी देश पूरी तैयारी के बिना रहने का खतरा नहीं उठा सकता... यह कोर्ट के लिए सही नहीं होगा, यदि वह अपील प्राधिकरण की तरह सभी पहलुओं की जांच करने बैठ जाए..."

  4. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि विमान हमारी ज़रूरत हैं और उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल नहीं है. हमें 4th और 5th जनरेशन के विमानों की ज़रूरत है जो हमारे पास नहीं हैं. विमान सौदे की निर्णय प्रक्रिया सही. हमने राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम कायदे दोनों को जजमेंट लिखते समय ध्यान में रखा है.

  5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राफेल सौदे में कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई वजह नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

  6. बता दें कि राफ़ेल बनाने वाली कंपनी दसॉ के सीईओ ने  एक इंटरव्यू में कहा था कि कंपनी ने रिलायंस के साथ अपनी मर्ज़ी से समझौता किया है, किसी दबाव में नहीं.ये भी जोड़ा कि 2012 से ही रिलायंस से उनकी बात चल रही थी. इस सौदे में रफ़ाल की क़ीमत कम हुई है. वहीं, कांग्रेस ने उनके इस बयान को रटा-रटाया इंटरव्यू बताया . जबकि बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की.

  7.  राफेल डील और नोटबंदी पर सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में हो रही देरी को लेकर देश में अहम पदों पर काम कर चुके 60 रिटायर्ड अधिकारियों ने पिछले दिनों राष्ट्रपति से दखल देने की मांग करते हुए पत्र लिखा था. रिटायर्ड IAS अधिकारी  एनसी सक्सेना ने कहा, “ राफेल डील को साइन किए हुए साढ़े तीन साल हो गए हैं, लेकिन कैग अभी तक ऑडिट नहीं कर पाया है.

  8.  रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन आरोपों को बकवास बताया, जिनमें कहा जा रहा है कि राजग सरकार ने राफेल सौदा मामले में एचएएल को नजरअंदाज कर देश के युवाओं से नौकरियां छीनी हैं. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस ही है जिसने सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी को मजबूत करने का काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि एचएएल पर बोलने के लिये आप खड़े हुए. ये आप (कांग्रेस) ही हैं जिसने (एचएएल के लिये) कुछ नहीं किया और आप आरोप लगा रहे हैं कि हमने एचएएल को नजरअंदाज कर नौकरियां छीनी हैं.

  9. रफाल मामले में सबसे पहले एमएल शर्मा नामक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्हीं की याचिका पर 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों के भीतर राफेल सौदे की पूरी प्रक्रिया  की जानकारी मांगी थी. फिर कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में राफेल विमानों की कीमत भी मांगी थी. एमएल शर्मा इससे पहले मनमोहन सरकार में कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले का भी केस लड़ चुके हैं.

  10. एमएल शर्मा के बाद आठ अक्टूबर को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और फिर 24 अक्टूबर को अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ संयुक्त रूप से प्रशांत भूषण ने इसी मसले पर याचिका दाखिल की थी. अब सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.