छात्र नेता से लेकर उप राष्ट्रपति उम्मीदवार तक, कुछ ऐसा रहा नायडू का सफर, 10 खास बातें

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

छात्र नेता से लेकर उप राष्ट्रपति उम्मीदवार तक, कुछ ऐसा रहा नायडू का सफर, 10 खास बातें

वेंकैया नायडू 1974 में आंध्र विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. सोमवार शाम को बीजेपी संसदीय बोर्ड बैठक में पार्टी ने यह फैसला लिया गया. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फैसले की जानकारी दी. नायडू पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भरोसेमंद हैं. नायडू साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं. पीएम मोदी ने उन्हें किसान का बेटा बताया. उपराष्ट्रपति पद के लिए 5 अगस्त को वोट डाले जाएंगे. 

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई, 1949 को आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले में हुआ. 

  2. नेल्लोर से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं से राजनीति में स्नातक किया. विशाखापट्टनम के लॉ कॉलेज से अंतरराष्ट्रीय कानून में डिग्री ली. 

  3. 14 अप्रैल, 1971 को उषा से शादी की. उनके एक बेटा और एक बेटी है. बेटे का नाम हर्षवर्धन जबकि बेटी का नाम दीपा वेंकट है.

  4. कॉलेज के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए. नायडू पहली बार 1972 में जय आंध्रा आंदोलन से सुर्खियों में आए. 

  5. 1975 में इमरजेंसी में जेल भी गए थे. -1977 से 1980 तक यूथ विंग के अध्यक्ष रहे. 

  6. महज 29 साल की उम्र में 1978 में पहली बार विधायक बने. 1983 में भी विधानसभा पहुंचे और धीरे-धीरे राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे.

  7. बीजेपी के विभिन्न पदों पर रहने के बाद नायडू पहली बार कर्नाटक से राज्यसभा के लिए 1998 में चुने गए. इसके बाद से ही 2004, 2010 और 2016 में वह राज्यसभा के सांसद बने.

  8. 1999 में एनडीए की जीत के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रभार दिया गया.

  9. 2002 में वे पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2004 में वह दोबारा अध्यक्ष बने.

  10. साल 2004 में नायडू राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, लेकिन एनडीए की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 2014 में बीजेपे को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद उन्हें शहरी विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया.