जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार से अलग हुई बीजेपी, बताए ये 5 कारण 

राम माधव ने कहा कि हमारा मकसद राज्य का विकास करना था. केंद्र सरकार ने इसमें हरसंभव मदद भी की, लेकिन महबूबा मुफ्ती राज्य में हालात को संभालने में नाकाम साबित हुईं. 

जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार से अलग हुई बीजेपी, बताए ये 5 कारण 

बीजेपी ने कहा कि हमने पीडीपी के साथ एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी, यह एजेंडा सफल होता नहीं दिखा.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और महबूबा मुफ्ती की सरकार से अलग हो गई है. दोनों दलों में पिछले कुछ दिनों से टकराव की स्थिति बनी हुई थी और केंद्र सरकार द्वारा दो दिन पहले घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन फिर से शुरू करने की घोषणा के बाद यह टकराव बढ़ता दिखाई दे रहा था. पीडीपी सीजफायर के पक्ष में थी और सरकार द्वारा इसे आगे न बढ़ाने पर अपनी नाराजगी भी जताई थी. इसी बीच आज बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने महबूबा मुफ्ती सरकार में शामिल बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों और राज्य के सभी बड़े नेताओं को दिल्ली में आपात बैठक के लिये बुलाया था. बैठक के बाद पार्टी ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अलग होने की घोषणा कर दी. पार्टी ने इसके लिए खुद महबूबा मुफ्ती को भी जिम्मेदार ठहराया है. प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा कि हमारा मकसद राज्य का विकास करना था. केंद्र सरकार ने इसमें हरसंभव मदद भी की, लेकिन महबूबा मुफ्ती राज्य में हालात को संभालने में नाकाम साबित हुईं. 

पीडीपी से अलग होने के बीजेपी ने बताए ये कारण

  1. भाजपा नेता और पार्टी के जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा कि हम राज्य में खंडित जनादेश में साथ आए थे और पीडीपी के साथ एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की, लेकिन महबूबा मुफ्ती राज्य में हालात को संभालने में नाकाम साबित हुईं.

  2. राम माधव ने कहा कि पीडीपी से गठबंधन के पीछे हमारा मकसद राज्य का विकास करना था. केंद्र सरकार ने इसमें हरसंभव मदद भी की. बंकर बनवाए. अन्य कार्य किये, लेकिन राज्य में आतंकवाद और कट्टरपंथ बढ़ा. इसके अलावा राज्य में बोलने की आजादी और प्रेस फ्रीडम भी खतरें में पड़ गया. हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या इसका उदाहरण है. 

  3. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रमजान के महीने में राज्य में सीजफायर किया था. हमें उम्मीद थी कि राज्य में इसका अच्छा असर दिखेगा. यह कोई हमारी मजबूरी नहीं थी, लेकिन न तो इसका असर आतंकवादियों पर असर पड़ा और न ही अलगाववादी हुर्रियत नेताओं पर. उल्टे घटनाओं में इजाफा हुआ. 

  4. राम माधव ने कहा कि हम भले ही सरकार में थे, लेकिन अगुवाई महबूबा मुफ्ती कर रहीं थीं. पुलिस-प्रशासन उन्हीं के हाथ में था और राज्य में स्थिति संभालने की जिम्मेदारी उनकी थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाईं. हम उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन कहना पड़ेगा कि वे असफल रहीं हैं. 

  5. राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और राज्य की एकता-अखंडता से किसी भी सूरत में समझौता नहीं किया जा सकता है, लेकिन आज जो स्थिति है उस पर नियंत्रण करने के लिये हमने सरकार से अलग होने का फैसला लिया है. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान जारी रहेगा.