आखिर डॉ. मनमोहन सिंह क्यों नहीं थे 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'? जानें- पूरा मामला

फिल्म 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की पुस्तक पर आधारित है. पुस्तक का नाम भी द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister) ही है.

आखिर डॉ. मनमोहन सिंह क्यों नहीं थे 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'? जानें- पूरा मामला

द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister) का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर रिलीज होते ही इस पर विवाद भी शुरू हो गया है. 

नई दिल्ली : फिल्म द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister) का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर रिलीज होते ही इस पर विवाद भी शुरू हो गया है. कांग्रेस नेताओं ने अनुपम खेर (Anupam Kher) अभिनीत फिल्म ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को अपनी पार्टी के खिलाफ भाजपा का दुष्प्रचार करार दिया है. हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने इस फिल्म को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा का यह दुष्प्रचार काम नहीं करेगा और सच की जीत होगी. आपको बता दें कि यह फिल्म 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की पुस्तक पर आधारित है. पुस्तक का नाम भी द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister) ही है. एनडीटीवी के औनिन्द्यो चक्रवर्ती बता रहे हैं कि आखिर डॉ. मनमोहन सिंह क्यों 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' नहीं थे.

क्यों नहीं थे 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'?

  1. डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को इसलिए प्रधानमंत्री चुना गया, क्योंकि उस समय बाजार और सुधार (रिफॉर्म) समर्थकों में उनका चेहरा सबसे ज्यादा स्वीकार्य था. 

  2. मनमोहन सिंह ने स्पष्ट रूप से स्वीकार्य किया कि 2008 तक उन्होंने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत कार्य किया. हालांकि जब उनकी सरकार को सपा का समर्थन मिल गया तो धीरे-धीरे उन्होंने लेफ्ट और 10 जनपथ रोड से किनारा किया. 

  3. 2009 में जीत के बाद मनमोहन सिंह ने सरकार के एजेंडे पर मजबूती से काम करना शुरू किया. गांधी परिवार ने बहुत कोशिश की, लेकिन 2011-12 के बाद उन्हें रोकने में नाकाम रहा. 2012 में हुआ कैबिनट फेरबदल इसका उदाहरण है.   

  4. डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने मनरेगा जैसी तमाम '10 जनपथ' की पसंदीदा स्कीम पर खर्च होने वाली धनराशि में कटौती की. इसका नतीजा यह हुआ कि राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जयराम रमेश को अधिक फंड के लिए सरकार को पत्र लिखना पड़ा. 

  5. जब कांग्रेस फूड फॉर ऑल स्कीम लेकर आई, जिसकी उस वक्त अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपये थी और यूपीए की सुधार समर्थक लॉबी इसके खिलाफ थी, तब पीएमओ ने रंगराजन कमेटी के जरिये इस योजना को मूर्त रूप लेने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

  6. डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) देश के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक हैं. ऐसे पीएम जो चुनाव जीतने के लिए तिकड़म लगाने के बगैर 10 साल पीएम बने रहे है. 2014 में यूपीए-2 सरकार की हार की वजह कई जन विरोधी नीतियां बनीं.