फतवे पर एआर रहमान ने दी सफाई, कहा- मैं इस्लाम का विद्वान नहीं, मैंने सिर्फ संगीत दिया

फतवे पर एआर रहमान ने दी सफाई, कहा- मैं इस्लाम का विद्वान नहीं, मैंने सिर्फ संगीत दिया

एआर रहमान (फाइल फोटो)

पैगंबर मोहम्मद पर बनी फिल्म में संगीत देने के कारण मुस्लिम समुदाय के एक तबके का विरोध और फतवे का सामना कर रहे संगीतकार एआर रहमान ने सफाई दी है। एआर रहमान ने विरोध जताने वाले लोगों के प्रति खुला पत्र जारी किया है। अपने और फिल्म के प्रड्यूसर माजिद मजीदी के खिलाफ जारी फतवे को लेकर रहमान ने कहा, 'मैंने मोहम्मद :  मेसेंजर ऑफ गॉड का निर्देशन नहीं किया है। मैंने इस फिल्म में सिर्फ संगीत दिया है।'

बोले रहमान- म्यूजिक कम्पोज करने का मेरा फैसला अच्छी भावना के तहत

एआर रहमान ने कहा, 'इस फिल्म के लिए म्यूजिक कम्पोज करने का मेरा फैसला अच्छी भावना के तहत था, किसी भी तरह की गलती करने का मेरा प्रयास नहीं था। मैं इस्लाम का विद्वान नहीं हूं। मैं बीच के रास्ते को मानता हूं, मेरा कुछ हिस्सा परंपरावादी है और थोड़ा हिस्सा तर्कवादी।'

देखें वीडियो- रहमान ने कहा, 'सद्भाव के आधार पर फैसला लिया'

18 अगस्त को रिलीज हुई फिल्म का चौतरफा विरोध...

ईरान में 253 करोड़ रुपये की लगात से बनी यह फिल्म 18 अगस्त को रिलीज हो चुकी है। इसका मध्य-पूर्व के देशों में मुस्लिम संगठनों ने तीखा विरोध किया है। पिछले दिनों मुंबई के एक सुन्नी संगठन ने भी इस फिल्म में खुदा का मजाक बनाए जाने का आरोप लगाया था। संगठन ने रहमान और माजिद मजीदी के खिलाफ फतवा जारी कर कहा था कि दोनों ने इस्लाम का अपमान किया है। वहां उन्होंने उनके सामने फिल्म बनाने वालों की सजा के बारे में सवाल किया था। उनका कहना था कि इस फिल्म में मोहम्मद का किरदार एक छोटा बच्चा निभा रहा है।

क्या कहा गया है फतवे में...

फतवा में कहा गया है, 'पैगम्बर पर फिल्म बनाने में कोई गुनाह नहीं है, लेकिन पैगम्बर की जिंदगी को एक नाटक के रूप में पेश करना और उनके किरदार को गैर-मुस्लिम अभिनेता के द्वारा निभाने से मजहब का मजाक उड़ाया जा रहा है। फतवा में मुस्लिमों को आवाह्न करते हुए कहा गया कि वे सिर्फ इस फिल्म का बहिष्कार ही न करें बल्कि व्यक्तिगत और कानूनी स्तर पर इस फिल्म का विरोध भी करें।

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रजा अकादमी ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़वीनस के पास भी अपनी शिकायत दर्ज कराई। कुछ दिनों पहले वे मुफ्ती मुहम्मद अख्तारुल, हाजी अली दरगाह मस्जिद के इमाम, के पास भी गए थे। वहां उन्होंने उनके सामने फिल्म बनाने वालों की सजा के बारे में सवाल किया था।