हॉलीवुड से टक्‍कर ले सकते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति से कट गया है हिंदी सिनेमा: आशा पारेख

हॉलीवुड से टक्‍कर ले सकते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति से कट गया है हिंदी सिनेमा: आशा पारेख

नई दिल्‍ली:

करीब दो दशकों तक सुनहरे पर्दे पर राज करने वाली गुजरे जमाने की अभिनेत्री आशा पारेख का कहना है कि हिंदी फिल्में भारतीय संस्कृति से कट गयी हैं. ‘कटी पतंग’, ‘आया सावन झूम के’ और ‘कारवां’ जैसी मशहूर फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री ने कहा कि आजकल की फिल्मों में गाने एवं नृत्य में पुरानी फिल्मों की तरह सांस्कृतिक प्रभाव नहीं है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, 'तकनीकी रूप से हम बेहतर हुए हैं और किसी भी हॉलीवुड फिल्म से टक्कर ले सकते हैं. लेकिन दुख की बात है कि हमारा काफी पश्चिमीकरण हो गया है. हिंदी फिल्में भारतीय संस्कृति से कट गयी हैं. यहां तक कि बॉलीवुड के नृत्य में भी हमारे भारतीय नृत्य की छाप नहीं है. यह खत्म होता जा रहा है जो दुखद है.'

आशा पारेख ने कहा, ‘‘आज के संगीत एवं बोल काफी अलग हैं. कुछ गाने हैं जो अच्छे हैं लेकिन बाकी का संगीत ऐसा नहीं है जिसे याद रखा जाए.’’ अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें रीमिक्स का विचार पसंद नहीं है लेकिन उन्हें रीमेक से दिक्कत नहीं है, बशर्ते उन्हें सही से किया जाए.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे रीमिक्स की यह पूरी संस्कृति पसंद नहीं है. मेरा गाना ‘कांटा लगा’ बर्बाद कर दिया गया. मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं है. लेकिन मुझे रीमेक से दिक्कत नहीं है, अगर उन्हें सही से बनाया जाए.’’ हाल में अपने आत्मजीवनी ‘द हिट गर्ल’ का विमोचन करने वाली अभिनेत्री ने कहा कि उनके लिए दुनिया के साथ अपनी जिंदगी की कहानी साझा करना मुश्किल नहीं था लेकिन कुछ यादें दुखद थीं और वह कभी भी उनके बारे में बात नहीं करतीं. इस किताब में अच्छी एवं बुरी यादें दोनों का जिक्र है.

हाल ही में अपनी किताब 'द हिट गर्ल' के विमोचन पर उन्‍होंने बताया कि नासिर हुसैन इकलौते ऐसे शख्‍स से जिनसे उन्‍होंने प्‍यार किया था. हालांकि दोनों की शादी नहीं हो पाई थी. आशा ने कहा, "हां, नासिर साहब ही एकमात्र ऐसे पुरुष थे जिनसे मैंने प्यार किया. मेरे जीवन में जो लोग मायने रखते हैं, अगर उनका जिक्र मैं अपनी आत्मकथा में ना करूं तो फिर इसे लिखने का कोई अर्थ ही नहीं है." अपनी बायोग्राफी में अपनी जिंदगी के नाजुक पलों को खूबसूरती से संजोकर लिखने का श्रेय वह अपनी बायोग्राफी के सह-लेखक खालिद मोहम्मद को देती हैं. उन्होंने कहा कि खालिद ने उनकी जीवनी को बेहद सावधानीपूर्वक और गरिमापूर्ण तरीके से संभाला है.

(इनपुट भाषा से भी)


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