यह ख़बर 21 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

धीमी और उबाऊ है आमिर की धोबी घाट

खास बातें

  • 90 मिनट की धोबी घाट में इंटरवेल नहीं है। लेकिन ये इतनी स्लो और बोरिंग है कि दो इंटरवेल की ज़रूरत पड़ती है।
मुंबई:

मुंबई की ज़िंदगी दिखाती धोबी घाट चार किरदारों के आसपास घूमती है। आमिर ख़ान पेंटर हैं। किराये के मकान में रहने आते हैं और यहां उन्हें लावारिस वीडियो टेप मिलते हैं जो पुरानी किरायेदार यास्मीन के हैं। इनमें दर्ज है यास्मीन का अकेलापन। अमेरिका से आई एक इन्वेस्टमेंट बैंकर शाय भी है…जो मुंबई की ज़िंदगी पर फोटोग्राफी का प्रोजेक्ट कर रही है। शाय अपनी कामयाबी के लिए मुन्ना धोबी को ज़रिया बनाती है जो अरुण के कपड़े भी धोता है। सिर्फ 90 मिनट की धोबी घाट में इंटरवेल नहीं है। लेकिन ये इतनी स्लो और बोरिंग है कि दो इंटरवेल की ज़रूरत पड़ती है। कई जंप कट्स हैं। एक सीन में अचानक दूसरे सीन की एंट्री हो जाती है। धोबी घाट का ट्रेलर काफी दिलचस्प था जिसमें अर्जेंटीना के ऑस्कर विजेता संगीतकार गुस्तावो ने शानदार म्यूज़िक दिया। ये म्यूज़िक इमोशन्स में भारी उतार-चढ़ाव ला सकता था। पता नहीं क्यों इस सिग्नेचर ट्यून का सही इस्तेमाल फिल्म में नहीं किया गया।  भारतीय जनता लीनियर यानी एक लाईन में चलने वाली कहानी पसंद करती है लेकिन यहां कहानी काफी बिखरी हुई है। कई बातों पर यकीन ही नहीं होता। मुन्ना धोबी की एंट्री मालकिनों के बेडरूम तक है। हालांकि रिश्ते साफ सुथरे हैं लेकिन मुन्ना जब शाय से दोस्ती बढ़ाता है तो इन मालकिनों को जलन क्यों होती है। शाय फोटोग्राफर है फिर क्यों वह जासूसों की तरह पेंटर के फोटो खींचती है। एंड में एक सीन ज़रूर दिल को छूता है जब आमिर अकेलेपन में मौत को गले लगाने वाली यास्मीन के लिए फूट-फूट कर रोते हैं। दो महिलाओं का कंट्रास्ट भी अच्छा है। शाय कामयाबी के लिए फोटोग्राफी करती है और यास्मीन अकेलापन को दूर रखने के लिए। प्रतीक बब्बर की मासूमियत भी दिल को छूती है। मोनिका डोगरा कीर्ति मल्होत्रा के बेहतरीन परफॉरमेंस। आमिर के पास करने को कुछ ज्यादा नहीं है। कुल मिलाकर ना ये फिल्म ना दिल को छूती है ना दिमाग को। आमिर ख़ान ने कहा था धोबी घाट पेंटिंग के समान है इसीलिए सोच-समझ कर इस पर पैसा लगाना। मेरी भी ठीक यही सलाह है आपको। मैं इस फिल्म की रेटिंग नहीं करूंगा। आप खुद तय कीजिए कि अच्छा सिनेमा देखना चाहते हैं या मॉर्डन आर्ट जिसे आप घर में सजा तो सकते हैं पर समझ नहीं सकते। कलाकार : आमिर ख़ान, प्रतीक बब्बर, मोनिका डोगरा, कीर्ति मल्होत्रा


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