यह ख़बर 10 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

कूड़ा कचरा चुनने वाले ने बनाई फिल्म, ढूंढ लेंगे मंजिल हम

कल्याण जना

मुंबई:

इस शुक्रवार हुई कई रिलीज़ फिल्मों में से एक फिल्म का नाम है ढून्ढ लेंगे मंजिल हम। इस फिल्म पर शायद कम लोगों की नज़र पड़े क्योंकि फिल्म का बजट छोटा है। पैसों की कमी की वजह से इसका प्रचार भी नहीं हुआ। लेकिन हमारी नज़र इस फिल्म पर पड़ी तो हमने सोचा की ढून्ढ लेंगे मंजिल हम के बारे में हम थोडा़ दर्शकों को बता दें क्योंकि फिल्म चाहे जिस लेवल की बनाई गई हो, मगर इसका विषय और इसके बनाने वाले की कहानी दिल को छूती है।

फिल्म ढून्ढ लेंगे मंजिल हम आधारित है सड़क पर माँ-बाप द्वारा छोड़ दिए गए बच्चों की ज़िन्दगी पर। ऐसे अनाथ बच्चों की ज़िन्दगी पर जो सड़क पर अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते हैं। पेट भरने के लिए कचड़ा चुनते हैं। ये फिल्म उन करोड़ों बच्चों के दुःख दर्द को बयां कर रही है।

इस फिल्म को बनाया है, कल्याण जी जना ने। कल्याण खुद एक ऐसा बच्चा था, जिसे तीन साल की उम्र में मुंबई स्थित मालाड इलाके में उसके माता-पिता ने छोड़ दिया था। कल्याण का बचपन मालाड की सड़कों पर कचड़ा चुनते हुए गुज़रा। धीरे-धीरे वह बड़ा हुआ और डांस सीखने लगा। आज कल्याण कई स्कूल और कॉलेज में नृत्य सिखाता है।

कल्याण ने अपने जैसे करोड़ों बच्चों से प्रेरणा लेकर फिल्म बनाई है। दुनियां को यह बताने के लिए कि क्या होता है दर्द उन बच्चों का, जो अनाथ होते हैं। इस फिल्म में कई ऐसे बच्चों ने काम भी किया है, जिनका बचपन फूटपाथ पर गुज़रा है। कल्याण ने फिल्म को प्रोडूस करने के साथ-साथ एक्टिंग भी की है। इनके अलावा धर्मेन्द्र सिंह, सेबेतिना रेड्डी, नेहा बंसल, पूजा महात्रे, शांतनु बख्शी, मुश्ताक खान, रजा मुराद, रमेश गोयल, अली खान और बीरबल ने फिल्म में भूमिकाएं निभाई हैं।

हमने इन सभी कलाकारों का नाम इसलिए भी बताना ज़रूरी समझा, क्योंकि इन कलाकारों ने इस फिल्म के लिए पैसे नहीं लिए और कल्याण की कहानी को परदे पर पहुंचाने में उसकी मदद की।

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फिल्म चाहे जैसी भी हो मगर कल्याण की कोशिश सराहनीय है, जिसने ज़मीन से आसमान छूने की न सिर्फ कोशिश की है, बल्कि यतीम और बेसहारा बच्चों को प्रेरणा भी देने की कोशिश की है अपनी ज़िन्दगी से और अपनी फिल्म से।