यह ख़बर 13 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : बिखरी कहानी का शिकार हो गई 'फगली'...

मुंबई:

आज रिलीज़ हुई फिल्म 'फगली' की कहानी है बचपन के चार दोस्तों - देव, गौरव, आदित्य और देवी की, जो हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ हैं... वे नौजवान हैं, इसलिए मौज-मस्ती करते हैं, लेकिन फिर भी हर किसी के अपने-अपने सपने हैं... एक दिन ये चारों एक दुकानदार को सबक सिखाने जाते हैं, क्योंकि उसने देवी के साथ छेड़खानी की थी... इसी बीच उनकी मुलाकात होती है, भ्रष्ट पुलिस अफसर चौटाला से, जो इनकी ज़िन्दगी में उथल-पुथल मचा देता है... इस भ्रष्ट पुलिस अफसर के रोल में हैं जिमी शेरगिल...

'फगली' कई सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालती है - जैसे लड़कियां कहीं भी महफूज़ नहीं हैं, नेताओं और सिस्टम में भ्रष्टाचार भरा पड़ा है... वैसे, ड्रग्स और सेक्सुअल एब्यूज़ जैसे गंभीर विषयों को भी फिल्म ने उठाया है... फिल्म के पहले ही सीन में देव दिल्ली के इंडिया गेट के सामने खुद को आग में जलाने की कोशिश करता है, लेकिन पुलिस उसे बचा लेती है... देव ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उसके मुताबिक आम आदमी की आवाज़ कोई नहीं सुनता, मगर मरते हुए इंसान की कहानी हर कोई सुनता है... 'फगली' में दिखाया गया है कि मुसीबत और बुरे वक्त में सभी दोस्त एक-दूसरे के साथ हैं...

'फगली' ने भले ही कई सामाजिक मुद्दों को उजागर करने की कोशिश की हो, मगर नीरस है... कहानी बिल्कुल बिखरी हुई है, स्क्रीनप्ले बेहद कमज़ोर है, फिल्म में ज़रूरत से ज़्यादा शोरशराबा है और संगीत भी कमज़ोर है... बॉक्सिंग में मेडल जीत चुके विजेंदर सिंह एक्टिंग से दिल जीतने में नाकाम रहे... मोहित मारवाह और कियारा आडवाणी ने ठीक-ठाक काम किया है... उधर, चौटाला के रोल में जिमी शेरगिल ने जान डालने की भरपूर कोशिश की, मगर कमज़ोर कहानी के शिकार होकर रह गए...

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मुझे लगता है शायद लेखक राहुल हांडा और निर्देशक कबीर सदानंद के दिमाग में देश, समाज और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर फिल्म बनाने का आइडिया आया होगा और क्लाइमेक्स को 'रंग दे बसंती' के अंदाज़ में गढ़ना चाहते होंगे, लेकिन 'फगली' देखकर महसूस होता है कि इसे बनाने में दोनों बेहद उलझ गए और विचार धरा का धरा रह गया... मेरी तरफ से फिल्म की रेटिंग है - 2 स्टार...