यह ख़बर 10 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : प्यारी-सी लवस्टोरी है 'जिगरिया'...

मुंबई:

आज रिलीज़ हुई फिल्म 'जिगरिया' एक लव स्टोरी है... यह कहानी है, आगरा में रह रहे एक युवा छात्र शामलाल उर्फ शामू की, जो पढ़ाई-लिखाई में फेल है और शायरी करने का शौकीन है... उसका खानदानी पेशा बरसों से हलवाई का है, मगर वह लेखक बनना चाहता है... एक दिन अचानक वह टकराता है, एक लड़की से, जिससे उसे प्यार हो जाता है, और फिर शुरू होती है, इश्क की बेकरारी, रोमांस, शादी के लिए बड़े-छोटे के बीच का फर्क, और फिर ट्रेजेडी...

दरअसल, एक मासूम-सी लव स्टोरी है फिल्म 'जिगरिया', जिसमें बहुत सुन्दर दृश्य हैं, खूबसूरत फोटोग्राफी है, और सबसे खास बात यह है कि फिल्म में देश की सुंदरता को दर्शाया गया है... फिल्म देखते समय मुझे कई जगह 'रांझना' की याद आई... हालांकि दोनों फिल्मों की कहानी बहुत अलग हैं, लेकिन जिस तरह उस फिल्म में एक छोटे-से परिवार का लड़का था और लड़की के पीछे पड़ता है, वैसे ही इस फिल्म में आगरा के लड़के की कहानी को वैसे ही लुक में दिखाने की कोशिश की गई है। 'जिगरिया' का संगीत भी 'रांझना' से मिलता-जुलता है, और फिल्म वैसा ही जुनून भी है, प्यार के लिए... मगर 'रांझना' जैसे 'मूमेन्ट्स' नहीं हैं 'जिगरिया' में... देखकर सिर्फ ऐसा महसूस हुआ, जैसे एक अलग कहानी चुनकर नई 'रांझना' बनाने की कोशिश की गई हो...

हालांकि 'जिगरिया' की लवस्टोरी में मासूमियत दिखती है, मगर फिल्म कुछ धीमी है... राज पुरोहित का निर्देशन भी ठीक है, लेकिन कहानी कुछ भटकती हुई नज़र आती है... फिल्म में मासूम-सी लड़की के किरदार में शैरी मरदिया जमी हैं, वहीं शामू के रोल में हर्षवर्धन देव थोड़े अनफिट लगे, या यूं कहिए, पता चलता है कि कलाकार नया है, और अनुभव की कमी साफ झलकती है पर्दे पर...

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कुल मिलाकर 'जिगरिया' एक प्यारी-सी लवस्टोरी है, जो एक बार फिर भारत के अनेक रंगों में से एक आगरा-मथुरा के इश्क के रंग को दर्शाती है... इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है, और इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 3 स्टार...