यह ख़बर 28 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

नास्तिक या आस्तिक... सबके लिए है 'ओह माय गॉड'

खास बातें

  • हर वह इंसान जो धर्म को मानता है या नहीं मानता, उसे एक बार यह फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए। शायद उसे अपने मतलब का कुछ इस फ़िल्म में ज़रूर मिल जाए...

इस हफ्ते की बड़ी रिलीज़ है 'ओह माय गॉड'...यह फ़िल्म मशहूर गुजराती नाटक 'कुंजी विरुद्ध कुंजी' पर आधारित है, जिसे बाद में 'किशन Vs कन्हैया' के नाम से हिन्दी में भी बनाया गया था। इस नाटक के देश-विदेश में सैकड़ों शो हो चुके हैं और अब यह कहानी आई है बड़े पर्दे पर।

इसमें कुंजी भाई बने परेश रावल की भगवान की मूर्तियों की दुकान है, लेकिन वह खुद नास्तिक हैं। एक दिन भूकंप आने से उनकी दुकान तहस-नहस हो जाती है और उन्हें लाखों का घाटा होता है। बीमा कंपनी इसे 'एक्ट ऑफ़ गॉड' कहकर टाल देती है और कुंजी भाई निकल पड़ते हैं भगवान के खिलाफ़ केस करने के लिए।

आगे क्या होगा, यह तो आप फ़िल्म देखकर ही पता लगा पाएंगे, लेकिन मैं आपको बता दूं कि फ़िल्म की कहानी शायद बहुत से लोगों के दिमाग खोल देगी। अंधविश्वासों को सच का आइना दिखाएगी और शायद आप भगवान को मंदिर में नहीं, बल्कि मन के अंदर ढूंढ़ना शुरू कर दें।

परेश रावल एक अच्छे एक्टर हैं और उन्होंने इस फ़िल्म में भी निराश नहीं किया। अक्षय कुमार कृष्ण के क़िरदार में हैं, जिनके पास करने को बहुत कुछ नहीं था, पर भगवान कृष्ण के क़िरदार में एकदम फ़िट हैं। उनकी कद-काठी, मुस्कुराहट उनका काम पूरा कर देती है।

मुझे लगा कि फ़िल्म में कहानी को ही हीरो रखा गया है, इसलिए ज्यादा टेक्निकल मदद नहीं ली गई, लेकिन यहां यह कहना मैं ज़रूरी समझूंगा कि फ़िल्म की अपनी एक भाषा होती है और अगर उसका सही इस्तेमाल होता, तो बहुत सारे सीन और दमदार होकर निकलते और दर्शकों पर एक अलग ही प्रभाव छोड़ते।

यहां, मैं मिथुन चक्रवर्ती की तारीफ़ करना चाहूंगा, जो बहुत दिनों बाद एक अलग ही किरदार में नजर आए। फ़िल्म में मिथुन ने स्वामी लीलाधर की भूमिका बखूबी निभाई है।

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...तो हर वह इंसान जो धर्म को मानता है या नहीं मानता, उसे एक बार यह फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए। शायद उसे अपने मतलब का कुछ इस फ़िल्म में ज़रूर मिल जाए...मेरी तरफ़ से इस फ़िल्म को 3.5 स्टार...