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खास बातें
- 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' रिलीज़ हुई है इस गुरुवार को। यह कहानी है गैंगस्टर सोहेब यानी अक्षय कुमार की जो अपने दुश्मन रवैल से बदला लेने मुंबई पहुच जाता है पर यहां वह गिरफ़्तार हो जाता है जैसमीन यानी सोनाक्षी सिन्हा के इश्क में जो फिल्मों में हीरोइन
'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' रिलीज़ हुई है इस गुरुवार को। यह कहानी है गैंगस्टर सोहेब यानी अक्षय कुमार की जो अपने दुश्मन रवैल से बदला लेने मुंबई पहुच जाता है पर यहां वह गिरफ़्तार हो जाता है जैसमीन यानी सोनाक्षी सिन्हा के इश्क में जो फिल्मों में हीरोइन बनने की ख्वाहिश रखती है।
दूसरी तरफ हैं असलम यानी कि इमरान खान जिन्हें सोहेब ने बचपन में अपने गिरोह में शामिल कर लिया था और असलम भी जैसमीन को दिल दे बैठा है। बस यही कहानी है इस फिल्म की… इसके आगे क्या होगा यह आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा पर मैं आपको अपना नज़रिया बता दूं...
फिल्म की कहानी बहुत कमज़ोर है… फिल्म में डायलॉग्स को दमदार बनाने की कोशिश की गई है पर अफ़सोस इनमें वह वज़न नहीं है जो पहली 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई' में थे…। डायलॉग्स को ज़बरदस्त तरीके से भारी भरकम बनाने की कोशिश लगती है। ऊपर से अक्षय के डायलॉग डिलीवरी में नकलीपन दिखता है। पता नहीं, अक्षय ने डायलॉग डिलिवरी में यह सुर क्यों पकड़ा। यह अक्षय का खुद का फ़ैसला था या डायरेक्टर मिलन की हिदायत यह तो वह ही बेहतर जानें। पर ये डायलॉग्स और उनकी अदायगी आपको हंसने पर मजबूर कर देगी। इमरान ख़ान कास्टिंग में मिसफिट लगते हैं और वह भी कोई छाप नहीं छोड़ पाते हैं।
सोनाक्षी ठीक हैं… महेश मांजरेकर जितनी देर के लिए आते हैं स्क्रीन को चार्ज कर देते हैं।
गाना 'ये तूने क्या किया…' ज़ुबान पर चढ़ता है और नए रूप में तैयब अली आपका मनोरंजन करता है। कुल मिलाकर एक कमज़ोर कहानी, कमज़ोर स्क्रिप्ट और कमज़ोर अभिनय की मारी है यह फिल्म। इस फिल्म के लिए मेरी ओर से 1.5 स्टार्स।