यह ख़बर 25 अप्रैल, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : एक बार देखी जा सकती है 'सम्राट एंड कंपनी'

मुंबई:

'सम्राट एंड कंपनी' कहानी है एक जासूस 'सम्राट तिलकधारी' की, जिसका किरदार निभाया है राजीव खंडेलवाल ने... यह जासूस कुछ अलग किस्म का केस लेना चाहता है, और तभी डिम्पी सिंह का रोल कर रही मदालसा शर्मा उनके पास अपना केस लेकर पहुंचती है, और सम्राट पहुंच जाता है शिमला... शुरुआत में लगता है, जैसे यह केस भूत-प्रेतों से जुड़ा है, लेकिन यहां शुरू हो जाते हैं एक के बाद एक मर्डर...

वैसे फिल्म के पहले सीन से ऐसा लगा था कि 'सम्राट एंड कंपनी' कुछ भुतहा पहलुओं को छुएगी, मगर ऐसा नहीं है... इस फिल्म को मर्डर मिस्ट्री कह सकते हैं, जिसे हल करता है जासूस 'सम्राट तिलकधारी'...

जासूस 'सम्राट' स्मार्ट है, स्टाइलिश है और इसका 'सेवन्थ सेंस' कमाल का है... वह हर चीज़ में लॉजिक ढूंढता है और उसी आधार पर केस की जड़ तक पहुंचता है... हालांकि फिल्म में सस्पेंस अच्छा है, मगर फिल्म की कमज़ोर कड़ी लगी सम्राट की तफ्तीश, क्योंकि कहानी में डिटेक्टिव के लॉजिक और सेवन्थ सेंस को इतना बड़ा दिखा दिया है कि कातिल तक यह काफी जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है... इस चक्कर में कई सीन पुराने और बचकाने लगते हैं...

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जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कई लोगों के लिए लगता है कि शायद यह हो सकता है कातिल, मगर कातिल पहुंच से दूर जाता रहता है... हालांकि फिल्म में बहुत ज़्यादा एंटरटेनमेंट वैल्यू नहीं है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि फिल्म ने अंत तक सस्पेंस को पकड़कर रखा है... अगर आपको जासूसी फिल्में पसंद हैं तो 'सम्राट एंड कंपनी' को एक बार देख सकते हैं... इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 3 स्टार...