यह ख़बर 10 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : कुल मिलाकर 'बढ़िया' फिल्म है 'यारियां'

मुंबई:

इस हफ्ते रिलीज़ हुई है, 'यारियां', जिसे डायरेक्ट किया है दिव्या खोसला कुमार, ने जो खुद एक्ट्रेस रह चुकी हैं और टी-सीरीज़ के मालिक भूषण कुमार की पत्नी हैं... 'यारियां' युवाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है...

'यारियां' कहानी है एक कॉलेज में पढ़ रहे पांच दोस्तों की, जिनका काम सिर्फ मौजमस्ती करना है और इन्हे सभी नाकारा समझते हैं... कॉलेज के प्रिंसिपल के किरदार में हैं गुलशन ग्रोवर, और वह इन बच्चों को कॉलेज को बचाने का जिम्मा सौंपते हैं, क्योंकि कॉलेज के पास बने गर्ल्स हॉस्टल पर एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी कैसीनो बनाना चाहती है...

कंपनी की शर्त है कि इस कॉलेज के छात्र अगर ऑस्ट्रेलिया के छात्रों को खेल में हरा देंगे तो वे कॉलेज की ज़मीन छोड़ देंगे... फिल्म के मुख्य किरदारों में ज्यादातर नए चेहरे हैं... लक्ष्य के किरदार में हिमांश, सलोनी के किरदार में रकुल और नील के किरदार में देव हैं, और सभी पहली बार रुपहले पर्दे पर कदम रख रहे हैं, इसलिए इनसे ज़्यादा उम्मीद नहीं थी, लेकिन करीब-करीब सबने अच्छा काम किया है...

फिल्म की हीरोइन रकुल अच्छी एक्ट्रेस हैं... इस फिल्म में आपको 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर', 'जो जीता वही सिकंदर', और 'ये जवानी है दीवानी' की झलक नज़र आ सकती है... लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि युवाओं को फिल्म पसंद आ सकती है...

फिल्म के गाने बहुत अच्छे हैं, जो फिल्म की रिलीज़ से पहले ही पसंद किए जा रहे हैं... समीर आर्य की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है... फिल्म के बहुत-से सीन अपना असर छोड़ने में कामयाब रहते हैं, लेकिन फिल्म कहानी में मात खा जाती है... कई सीन्स में डायलॉग कमज़ोर नज़र आते हैं... फिल्म और छोटी बनाई जा सकती थी, लेकिन बतौर निर्देशक दिव्या ने कई सीन्स पर अच्छा काम किया है, लेकिन जैसा मैं बार-बार कहता आया हूं कि एक अच्छे डायरेक्टर में अपनी ही फिल्म पर कैंची चलाने की हिम्मत होनी चाहिए... शायद दिव्या को यही सीखने की ज़रूरत है...

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कुल मिलाकर युवाओं को 'यारियां' पसंद आ सकती है, तो उस नजरिये से इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार...