यह ख़बर 08 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रिव्यू : एडल्ट और डरावनी है मर्डर-2

खास बातें

  • भट्ट कैंप की फिल्म 'मर्डर-2' सिनेमाघरों में पहुंच गई लेकिन इसका हिट फिल्म 'मर्डर' से कोई लेना-देना नहीं ना कहानी से और ना किरदारों से।
Mumbai:

भट्ट कैंप की फिल्म 'मर्डर-2' सिनेमाघरों में पहुंच गई लेकिन इसका हिट फिल्म 'मर्डर' से कोई लेना-देना नहीं ना कहानी से और ना किरदारों से। 'मर्डर-2' गोवा में सेट है। गोवा पुलिस की नौकरी छोड़ चुके अर्जुन भागवत यानी इमरान हाशमी क्रिमिनल वर्ल्ड में एक्टिव हैं। तभी शहर से लगातार कॉलगर्ल्स गायब होने लगती हैं। अर्जुन इस गुत्थी को सुलझाने का बीड़ा उठाता है और सामने आते हैं भयानक और डरावने सच। फिल्म की शुरुआत याना गुप्ता के बोल्ड आइटम नंबर से होती है। शायद ये एक्सरसाइज़ से पहले का वॉर्मअप है। लेकिन गाने के साथ शुरू हुआ कत्ल का सस्पेंस कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है। बेरहमी से लड़कियों को कत्ल करने वाला किलर सामने आ जाता है। हालांकि खून का मकसद जानने की जद्दोजहद रोमांच को बरकरार रखती है। जहां 'मर्डर' का प्लॉट बहुत सिंपल था वहीं 'मर्डर-2' के लिए डायरेक्टर मोहित सूरी ने ढेरों मोड़ वाली दिलचस्प कहानी चुनी लेकिन इस प्लॉट को बुनने में उन्होंने जिन धागों का इस्तेमाल किया वो काफी कमज़ोर हैं। सीरियल किलर के गुनाह कबूलने पर भी थर्ड डिग्री में एक्सपर्ट पुलिस उससे वारदात की जगह यानी घर का पता नहीं उगलवा पाती और जमानेभर में कत्ल के सबूत ढूंढती है। हत्यारे के ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने आई डॉक्टर इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर की तरह किलर से पूछताछ करती है। पुलिस की नौकरी छोड़ चुके शख्स की दादागिरी अभी भी थाने में बरकरार है।  'मर्डर-2' में सिंगल स्क्रीन ऑडियंस को लुभाने के लिए बहुत कुछ है। डर, रहस्य, रोमांच, कहानी में मोड़, बोल्ड सीन्स और सैयद कादरी के लिखे खूबसूरत रोमांटिक गीत। जैकलीन फर्नांडिस के तीन ही काम है। बोल्ड सीन्स देना, शराब पीना और रोना। अखबार में इस मॉडल की तस्वीर के साथ उसके मोबाइल नंबर भी छपते हैं, कमाल है।  'मर्डर-2' एडल्ट फिल्म है, डरावनी है, हिंसा बहुत ज्यादा है लेकिन इसे तभी देखें जब मर्डर मिस्ट्री सॉल्व करने की झंझट अपने सिर लेने के बजाय सब कुछ इमरान हाशमी पर छोड़ दें। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।


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