नवाजुद्दीन बोले, ताजमहल की तरह 'उस पहाड़' को भी माना जाए प्यार का प्रतीक

नवाजुद्दीन बोले, ताजमहल की तरह 'उस पहाड़' को भी माना जाए प्यार का प्रतीक

राधिका आप्टे और नवाजुद्दीन सिद्दीकी

मुंबई:

हिंदी फिल्मों के ऑफबीट एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी चाहते हैं कि ताजमहल की तर्ज पर गहलौर के पहाड़ को भी प्यार के प्रतीक के रूप में जाना जाए। गहलौर गया के निकट बिहार में वह जगह है जहां दशरथ मांझी रहा करते थे।

नवाजुद्दीन ने निर्देशक केतन मेहता की फिल्म 'मांझी-द माउंटेनमैन' में गहलौर निवासी दशरथ मांझी की भूमिका अदा की है, जिन्होंने अपनी पत्नी की याद में 22 वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद पहाड़ काटकर गांव वालों के लिए छोटा रास्ता तैयार किया।

नवाजुद्दीन ने मुंबई में फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग के अवसर पर कहा, 'जब लोग गहलौर में पहाड़ देखने जाएं तो वह पहाड़ और ताजमहल की तुलना करें। जब मांझी ने इसे बनाया तब समर्पण और जुनून अधिक था। हमें उम्मीद है कि भविष्य में इसे प्रेम का प्रतीक माना जाएगा।'

दशरथ मांझी के गांव का दौरा करने के अनुभव को साझा करते हुए नवाजुद्दीन ने कहा कि माहौल काफी भावुक था। दशरथ मांझी के जीवन पर बनी इस फिल्म 'मांझी-द माउंटेन मैन' में दशरथ की पत्नी का किरदार अभिनेत्री राधिका आप्टे ने निभाया है।

दशरथ मांझी इसलिए 'माउंटेन मैन' हैं...

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'माउंटेन मैन' के नाम से मशहूर दशरथ मांझी को अपनी घायल पत्नी के इलाज के लिए घूमकर लंबा रास्ता तय करते हुए नजदीकी अस्पताल जाना पड़ा था, जिसमें उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। इसके बाद दशरथ मांझी ने अकेले दम एक हथौड़ी और छेनी की मदद से दिन-रात कड़ी मेहनत करते हुए 22 वर्षो में धूप, बारिश, सर्दी-गर्मी सहते हुए पहाड़ काटकर गांव के लिए नजदीकी शहर तक के लिए छोटी सड़क का रास्ता खोल दिया।