Birthday special : थप्‍पड़ से हुआ नीली आंखों वाले, रूसी जनता के भी सितारे राज कपूर का फिल्‍मी आगाज

Birthday special : थप्‍पड़ से हुआ नीली आंखों वाले, रूसी जनता के भी सितारे राज कपूर का फिल्‍मी आगाज

राज कपूर

खास बातें

  • 14 दिसंबर 1924 को जन्‍म हुआ
  • पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था
  • निर्देशक केदार शर्मा ने जड़ा था थप्‍पड़

हिंदी सिनेमा के पहले शोमैन, एक्‍टर राज कपूर का आज बर्थडे है. नीली आंखों वाले राज कपूर की मासूम अदाकारी, चार्ली चैपलिन से मिलती-जुलती स्‍टाइल, आंखों में आंसू और होठों पर मुस्‍कराहट वाली छवि ने लोगों को अपना दीवाना बनाया. सोवियत संघ के दौर में वह भारत के ऐसे अनूठे कलाकार रहे जिसे सोवियत जनता ने भी भरपूर प्‍यार दिया.

इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि नीली आंखों वाले इस कलाकार का अक्‍स काफी हद तक रूसी दिखता था. एक बार जब वह रूस गए तो लोगों ने उनको रूसी कलाकार ही समझा. वह भारत के पहले ऐसे कलाकार हैं जिनकी आवारा और श्री-420 जैसी फिल्‍में रूस में बेहद सराही गईं.

उनको भी रूस से बेहद प्‍यार था. उसकी झलक 'मेरा नाम जोकर' फिल्‍म में दिखती है. फिल्‍म के सर्कस वाले हिस्‍से में रूसी अदाकार दिखते हैं और राज कपूर एक रूसी बाला से रोमांस करते हुए दिखते हैं.

राज कपूर का जन्‍म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था. हिंदी सिनेमा में कीर्तिमान स्‍थापित करेनवाले राज कपूर ने अपने फिल्‍मी करियर की शुरूआत थप्‍पड़ से की थी. राज कपूर का पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था. रणबीर अब उनके पोते यानी ऋषि-नीतू के बेटे का नाम है.

राज कपूर के पिता पृथ्‍वीराज कपूर ने उन्‍हें सफलता का मंत्र दिया था कि राजू नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे. पिता की इस बात को उन्‍होंने गांठ बांध लिया और महज 17 साल की उम्र में रंजीत मूवीकॉम और बांबे टॉकीज फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉट ब्वॉय का काम शुरू किया.

उस समय के जाने-माने निर्देशक केदार शर्मा ने एक बार किसी काम में राजकपूर से हुई गलती को लेकर उन्‍हें एक थप्‍पड़ मार दिया. वहीं आगे चलकर केदार ने उन्‍हें अपनी आगामी फिल्‍म 'नीलकमल' के लिए साइन किया. राजकपूर को एक्टिंग तो पिता से विरासत में मिली थी. राजकपूर पिता के साथ रंगमच पर भी काम किया करते थे. वर्ष 1960 में फिल्म 'अनाड़ी' और 1962 में 'जिस देश में गंगा बहती है' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया था. इसके अलावा वर्ष 1965 में 'संगम', 1970 में 'मेरा नाम जोकर' और 1983 में 'प्रेम रोग' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था.

भारत सरकार ने राज कपूर को मनोरंजन जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में पद्मभूषण से विभूषित किया था. वर्ष 1987 में उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था.

'मेरा जूता है जापानी' (श्री 420), कहकर दर्शकों के दिलों में राज करने वाले राजकपूर आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं. उनके सुपरहिट गानों में 'आवारा हूं' (आवारा), ए भाई जरा देख के चलो' (मेरा नाम जोकर), 'जीना इसी का नाम है' (मेरा नाम जोकर), 'आजा सनम, मधुर चांदनी में हम' (चोरी-चोरी), 'कहता है जोकर सारा जमाना' (मेरा नाम जोकर), 'सजन रे झूठ मत बोलो' (तीसरी कसम), 'मुड मुड कर न देख' (श्री 420), 'ये रात भीगी भीगी' (चोरी चोरी), 'किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार' (अनाड़ी), और 'प्यार हुआ इकरार हुआ' (श्री 420) सबसे ज्यादा मशहूर हुए.
 (एजेंसी से भी इनपुट)  


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com