फिल्‍म रिव्‍यू: 'रंगून', देश प्रेम और प्रेम त्रिकोण के बीच उलझी कमजोर कहानी, लेकिन एक्टिंग है दमदार

खास बातें

  • 'रंगून' में दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान एक प्रेम त्रिकोण दिखाया गया है
  • फिल्‍म का संगीत भी डायरेक्‍टर विशाल भारद्वाज ने ही दिया है
  • इस फिल्‍म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्‍टार्स
नई दिल्‍ली:

आज रिलीज होने वाली फिल्‍म है 'रंगून' जिसे विशाल भारद्वाज ने निर्देशित किया है. इस फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका सैफ अली खान, कंगना रनौत, शाहिद कपूर और रिचर्ड मैकेब ने निभायी है. रंगून आजादी से पहले की कहानी है जो युद्ध की पृष्‍ठभमि पर रची गई है. इस फिल्‍म में एक प्रेम त्रिकोण है जो कंगना, सैफ और शाहिद के बीच में दिखाया गया है. महात्‍मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस की उन कोशिशों को भी दिखाया गया है कि कैसे वह आईएनए के जरिए देश को आजादी दिलाने की कोशिश करते हैं. इस फिल्‍म में कंगना रनौत एक फिल्‍मी अभिनेत्री के किरदार में हैं तो वहीं सैफ अली खान रूसी बिलमोरिया नाम के एक फिल्‍म प्रोड्यूसर के किरदार में हैं. शाहिद कपूर इस फिल्‍म में आईएनए के एक सिपाही बने हैं जो अंग्रेजों की सेना में रहकर आईएनए का काम करते हैं.

अब बात करते हैं इस फिल्‍म की खामियों और खूबियों की.  

इस फिल्‍म की सबसे बड़ी कमजोरी है इसकी कहानी. फिल्‍म की कहानी उतनी ताकतवर नहीं है जितना उसे होना चाहिए था. फिल्‍म का पहला हिस्‍सा काफी हल्‍का लगता है और स्क्रिप्‍ट और कहानी में झोल साफ नजर आता है. फिल्‍म में काफी तामझाम है जैसे यहां सेट्स काफी बड़ा है, उसपर काफी मेहनत है लेकिन इस सब में कहानी कहीं खो जाती है. इसके अलावा फिल्‍म की दूसरी सबसे बड़ी कमी है उसका स्‍क्रीन प्‍ले जो काफी कमजोर है. यही कारण है कि फिल्‍म के पहले हिस्‍से में दर्शक किरदारों से जुड़ ही नहीं पाते. इसके साथ ही इस फिल्‍म की एक और सबसे बड़ी कमजोरी है इसके स्‍पेशल इफेक्‍ट्स. फिल्‍म में कई जगह यह इफेक्‍ट्स पूरी तरह से नकली लगते हैं. एक्टिंग की बात करें तो भी इंटरवेल के पहले हिस्‍से में कोई एक्‍टर कुछ कमाल नहीं कर पाए हैं. हालांकि अपने-अपने किरदार में कंगना, सैफ और शाहिद अच्‍छे हैं लेकिन इनके किरदारों में वह प्रभाव नजर नहीं आता है.

 
kangna ranaut rangoon
फिल्‍म की खूबियों की बात करें तो इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसका कैनवास. जिस पृष्‍ठभूमि में इसे रचा गय है वह काफी बड़ा और दर्शकों को अपने बीच उलझाये रखने के लिए अच्‍छा है. युद्ध के इस माहौल में फिल्‍म इंडस्‍ट्री कितनी कमजोर हुई थी और उसे कितनी समस्‍यओं का सामना करना पड़ा, यह सब इस फिल्‍म के दिखाने की कोशिश की गई है. जैसे फिल्‍म बनाने के जरूरी सामान जर्मनी से आता था और जर्मनी में ही इस युद्ध की शुरुआत हुई और सामान आना रुक गया. इसके अलावा फिल्‍म की सिनेमेटोग्राफी भी काफी खूबसूरत हैं और फिल्‍म में दिखाए गए लोकेशन्‍स काफी अच्‍छी हैं. इसके साथ ही फिल्‍म में दर्शाये गए सीक्‍वेंस काफी अच्‍छे हैं. फिल्‍म के संगीत की बात करें तो वह काफी मजबूत है जिसे खुद विशाल भारद्वाज ने दिया है. गानों के बोल भी काफी अच्‍छे हैं जो जुबान पर चढ़ जाता है.
 
kangna ranaut rangoon shahid

फिल्‍म का दूसरा हिस्‍सा काफी अच्‍छा है जिसमें सैफ की मोहब्‍बत कंगना के लिए और कंगना की मोहब्‍बत शाहिद के लिए साफ नजर आती है. इस फिल्‍म में कंगना और सैफ के बीच तलवार बाजी का एक सीन काफी प्रभावशाली है. दूसरे हिस्‍से में तीनों की किरदारों की एक्टिंग काफी अच्‍छी.

कहा जाए तो यह फिल्‍म एक ऐसा मिठाई का डिब्‍बा है जिसकी पैकेजिंग काफी खूबसूरत और दमदार है लेकिन इसकी अंदर की मिठाई उतनी अच्‍छी नहीं है. मेरी तरह से इस फिल्‍म को 3 स्‍टार्स मिलते हैं.

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