यह ख़बर 17 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'भेजा फ्राई-2' में पहली वाली बात नहीं...

खास बातें

  • विनय पाठक अच्छे एक्टर हैं पर कमजोर स्क्रिप्ट और कॉमेडी से महरूम डॉयलॉग्स का बोझ अकेले कहां तक उठा पाते...
Mumbai:

'भेजा फ्राई'...जो पिछली बार तो अच्छे से हुआ था, पर इस बार थोड़ा कच्चा रह गया। इस बार 'भेजा फ्राई-2' के भारत भूषण यानी विनय पाठक एक रियलिटी शो जीतकर इनाम में पा गए हैं, कुछ लाख रुपये और क्रूज में सैर का मौका। यहां उनके साथ हैं एक चैनल के मालिक और प्रोड्यूसर्स और साथ में हैं एक बहुत बड़े बिजनेसमैन अजीत तलवार यानी केके मेनन। विनय पाठक इन्कम टैक्स इंस्पेक्टर भी हैं और इसीलिए केके मेनन उनसे निजात पाना चाहते हैं। फिल्म में इस बार कॉमेडी का वैसा तड़का नहीं है। स्क्रिप्ट यहां भी कमजोर है। सीन्स लम्बे लगने लगते हैं। विनय पाठक अच्छे एक्टर हैं पर कमजोर स्क्रिप्ट और कॉमेडी से महरूम डॉयलॉग्स का बोझ अकेले कहां तक उठा पाते। बंदर का पैंट ले जाना, विनय पाठक और सुरेश मेनन का बच्चों की तरह लड़ना और अमोल गुप्ते का किरदार दर्शकों को नहीं गुदगुदा पाया। अदिति गोवात्रिकर और मिनिषा लाम्बा के किरदार को ढंग से शेप नहीं दी गई। राइटर और डाइरेक्टर दर्शकों के लाफिंग मीटर को नाप नहीं पाए। भेजा फ्राई के कामयाब फॉर्मूले को थोपने की कोशिश लगती है 'भेजा फ्राई-2। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है-2...


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