यह ख़बर 07 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

गुलाब गैंग : माधुरी-जूही की बेहतरीन जुगलबंदी

'गुलाब गैंग' के एक दृश्य में माधुरी दीक्षित

मुंबई:

इस फिल्मी फ्राइडे की खास रिलीज रही माधुरी दीक्षित अभिनीत 'गुलाब गैंग'। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फिल्म 'गुलाब गैंग' प्रेरित है औरतों के खिलाफ नाइंसाफीके लिए लड़ती सक्रिय संस्था गुलाबी गैंग से, जिसकी लीडर हैं संपत पाल।

हालांकि 'गुलाब गैंग' के फिल्मकार ऐसा नहीं मानते, मगर इस फिल्म में माधुरी दीक्षित का रज्जो का किरदार संपत पाल जैसा ही है। रज्जो औरतों की भलाई के लिए काम करती है, लड़कियों की शिक्षा के लिए गांव में स्कूल खोलना चाहती है और इनका गुलाग गैंग गुलाबी रंग की साड़ी में नज़र आता है। माधवपुर नाम के एक छोटे से गांव में इनका गैंग सक्रिय है, जो सताने वाले पति को सजा देता है और जरूरत पड़ने पर कलेक्टर तक से भिड़ जाता है।

हालांकि फिल्म का विषय गंभीर है, मगर फिल्म को मसालेदार बनाने की भरपूर कोशिश की गई है और जबरदस्त तरीके से ड्रामा पिरोया गया है। जगह-जगह गाने हैं, माधुरी का डांस है। गुलाबी साड़ी में लिपटी महिलाओं का फिल्म में जबरदस्त एक्शन भी है।

निर्देशक सौमिक सेन ने इस गंभीर विषय को मनोरंजक बनाकर पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। माधुरी दीक्षित का अभिनय अच्छा है। पहली बार निगेटिव रोल कर रही जूही चावला ने भी लीडर के रोल को बखूबी निभाया है। इनकी केमिस्ट्री और नोकझोंक पर्दे पर अच्छी लगती है। मगर ज्यादा ड्रामा डालने की वजह से फिल्म प्लॉट से भटकी हुई नजर आती है।

इस फिल्म के पीछे सोच थी सशक्त महिला दिखाना और उन पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना, मगर थोड़े ही समय बाद फिल्म राजनीति के पचड़ों में उलझने लगती है। फिल्म 'गुलाब गैंग' आने वाले दिनों में अगर याद की जाएगी, तो जूही चावला और माधुरी दीक्षित के पहली बार एकसाथ होने की वजह से या फिर गुलाबी गैंग से प्रेरित होने की वजह से। मेरी ओर से इस फिल्म को 3 स्टार...


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