यह ख़बर 07 अक्टूबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रिव्यू : 'साउंडट्रैक' को 3.5 स्टार

खास बातें

  • 'साउंडट्रैक' कहानी है रौनक कौल की जो म्यूजिक वर्ल्ड की बुलंदियां छूने की चाहत में एक नाइटक्लब का डीजे बन जाता है।
Mumbai:

'साउंडट्रैक' कहानी है रौनक कौल की जो म्यूजिक वर्ल्ड की बुलंदियां छूने की चाहत में एक नाइटक्लब का डीजे बन जाता है। हैंडसम और चार्मिंग लेकिन हर वक्त शराब और ड्रग्स के नशे में चूर रौनक तेजी से कामयाब होने लगता है लेकिन एक दिन उसे पता चलता है कि तेज म्यूजिक ने उसके सुनने की शक्ति छीन ली है। डेब्यूटेंट डायरेक्टर नीरव घोष की 'साउंडट्रैक' रीयल लाइफ से इंस्पायर्ड हॉलीवुड फिल्म इट्स ऑल गॉन पीट टांग…की ऑफिशियल हिन्दी रीमेक है। फिल्म बताती है कि कैसे अपनी इच्छाशक्ति और हिम्मत के सहारे एक बेबस म्यूजिक कंपोजर वापस संगीत की दुनिया में लौटता है। पहले कामयाब फिर बर्बाद म्यूजिक कंपोजर के रोल में राजीव खंडेलवाल की एनर्जी देखते बनती है। सोहा अली खान का असली रोल इंटरवेल के बाद शुरू होता है और ये उनकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन रोल है। लिप रीडिंग सिखाकर ये लड़की रौनक की जिंदगी बदल देती है। रौनक म्यूजिक को छूकर और वेवफॉर्म से पहचानने लगता है और यहीं कुछ कमाल के सीन्स सामने आए हैं। मुझे 'साउंडट्रैक' में दो कमियां दिखी। रौनक की कहानी आगे बढ़ाने के लिए जो किरदार बीच-बीच में सीटिंग इंटरव्यू फॉर्मेट में सामने आते हैं वो फिल्म में दरअसल रुकावट डालते हैं और डॉक्यूमेंट्री फील देते हैं। दूसरा रौनक का ऑल्टर ईगो या अहम दिखाने में इस्तेमाल जोकर हर किसी की समझ से बाहर होगा। सेकेंड हाफ ज्यादा बेहतर है। मेडिवल पंडित का हिप हॉप म्यूज़िक फिल्म की जरूरत पूरी करता है लेकिन संगीतकार की जिंदगी पर मुझे और बेहतर संगीत की उम्मीद थी। कुछ बोल्ड सीन्स के साथ 2 घंटे 22 मिनिट की साउंडट्रैक की यूनिक स्टोरी अच्छे स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन ने मुझे लगातार इंगेज रखा। जरूर देखिए साउंडट्रैक। इसके लिए मेरी रेटिंग है 3.5 स्टार


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