सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मसले को फिलहाल बॉम्बे हाईकोर्ट को तय करने दिया जाए. (फाइल फोटो)
खास बातें
- सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब सात फरवरी को सुनवाई करेगा.
- इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में 6 फरवरी को सुनवाई है.
- वकील अजय कुमार वाघमारे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की है याचिका.
नई दिल्ली: फिल्म जॉली एलएलबी-2 मामले में निर्माता को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा फिल्म देखने और समीक्षा करने लिए नियुक्त एमिक्स को रोकने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मसले को फिलहाल हाईकोर्ट को तय करने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब सात फरवरी को सुनवाई करेगा. इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में 6 फरवरी को सुनवाई है.
दअरसल, जॉली एलएलबी-2 के निर्माता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने फिल्म की समीक्षा के लिए एक पैनल के गठन का आदेश दिया था. दो एमिक्स को फिल्म देखकर ये तय करना है कि ये फिल्म न्यायपालिका और वकीलों को गलत तरीके से पेश करती है या नहीं. निर्माता का कहना है कि सेंसर बोर्ड पहले ही फिल्म को हरी झंडी दे चुका है, ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए.
दरअसल, दस फरवरी को फिल्म रिलीज से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने दो एमिकस क्यूरी (अदालत की मदद करने वाले वकील) को नियुक्त करते हुए उन्हें अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 देखने को कहा है. नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी को इस बात का पता लगाना है कि क्या फिल्म में ज्यूडिशियरी या वकीलों की छवि खराब की गई है० वकील आरएन ढ़ोर्डे और वीजे दीक्षित बुधवार को फिल्म देखेंगे और शुक्रवार को हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे, जिसके बाद मामले की सुनवाई की जाएगी.
हाईकोर्ट बेंच ने फिल्म के प्रोड्यूसर से मूवी की स्क्रीनिंग करने को कहा है. अक्षय कुमार की फिल्म 'जॉली एलएलबी-2' 10 फरवरी को रिलीज होने वाली है. बता दें कि वकील अजय कुमार वाघमारे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म के टाइटल से 'एलएलबी' शब्द को हटाने की मांग की थी. वाघमारे ने अपनी इस याचिका में ट्रेलर के कई सीन का जिक्र करते हुए लिखा है कि इसमें किरदारों को कोर्ट परिसर के अंदर पत्ते खेलते और डांस करते दिखाया गया है, जिससे वकील के पेशे की छवि धूमिल होती है. याचिका में इस बात की भी मांग की गई कि फिल्म के ट्रेलर को तत्काल प्रभाव से सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर बंद किया जाए.