हीन भावना से उबरने के लिए शुरू किया था अभिनय करना : पीयूष मिश्रा

हीन भावना से उबरने के लिए शुरू किया था अभिनय करना : पीयूष मिश्रा

फाइल फोटो

मुंबई:

रंगमंच और फिल्मों, दोनों ही जगह अपने शानदार अभिनय के लिए लोकप्रिय हुए अभिनेता पीयूष मित्रा का कहना है कि वह हीन भावना से उबरने के लिए अदाकारी के पेशे में आए. फिल्मों, नाटकों में संगीत निर्देशक, गीतकार, गायक, पटकथा लेखक की भी भूमिका निभाते रहे बहुमुखी प्रतिभा के धनी मिश्रा के मुताबिक एक वक्त था जब कोई उन पर ध्यान नहीं देता था और जब उन्होंने एक नाटक में राजकुमार की भूमिका निभाई तो उन्हें इस क्षेत्र का महत्व समझ में आया.

मिश्रा ने बुधवार शाम को कहा, 'मेरा मानना है कि मैं जो नहीं हूं, अभिनय से मैं वह बन गया. मैंने 1979 में राजकुमार का किरदार अदा किया था. मैं एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से था. हीन भावना से भरा था, अंतमुर्खी था. 'उन्होंने कहा, 'सभी ने मेरी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया, लड़कियां कभी मुझ पर ध्यान नहीं देती थीं. लेकिन जब मैंने अभिनय किया तो मुझे लगने लगा कि दुनिया पर राज कर रहा हूं. उन ढाई घंटों में मैं कह रहा था हंसो तो लोग हंस रहे थे, मैं कह रहा था कि रोओ तो लोग रो रहे थे. मैं हैरान था और मुझे पता चला कि यह अद्भुत कला है.'

53 वर्षीय मिश्रा ने 1986 में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक किया और अगले एक दशक में खुद को नाट्य निर्देशक, अभिनेता, गीतकार तथ गायक के रूप में स्थापित किया. साल 2002 में वह मुंबई में आकर बस गए और 'मकबूल', 'गुलाल', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और हाल ही में 'पिंक' जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी के साथ उनकी तारीफ का सिलसिला चला आ रहा है. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि जब तक अभिनय के कीड़े ने उन्हें नहीं काटा था, तब तक वह इस खोज में लगे रहे कि जिंदगी में क्या करना है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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