एक परिवार में तीन-तीन दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड

एक परिवार में तीन-तीन दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड

नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा जगत का सबसे बड़ा सम्मान है दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार। फिल्म उद्योग में किसी भी शख्स को जब ये पुरस्कार मिलता है, तो फिल्म प्रशंसक के साथ-साथ पूरी फिल्म इंडस्ट्री भी उस कलाकार का सम्मान करती है, ठीक उसी तरह जिस तरह मुंबई में शशि कपूर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर पूरी इंडस्ट्री वहां एकत्रित दिखाई दी।

शशि कपूर को सम्मान मिलने के साथ ही कपूर ख़ानदान इकलौता ऐसा ख़ानदान हो गया है, जिसके परिवार के तीन सदस्यों को सबसे बड़ा फ़िल्म सम्मान मिल चुका है। एक नज़र कपूर ख़ानदान के उन तीन कलाकारों पर जिन्हें सिनेमा जगत के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा गया।

1. पृथ्वीराज कपूर - पृथ्वीराज कपूर दरअसल कपूर परिवार के पहले सुपरस्टार थे। एक ही समय में वे भारतीय थिएटर और हिंदी फिल्म जगत का सबसे कामयाब चेहरा बन गए थे। उन्होंने पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। भारत की पहली सवाक फिल्म आलम आरा में काम किया। सिकंदर, आवारा और मुगले आजम जैसी कालजयी फिल्मों में सशक्त अभिनय का जादू बिखरने वाले पृथ्वीराज कपूर को उनके सिनेमाई योगदान के चलते 1971 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2. राजकपूर - पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े बेटे थे राजकपूर। भोली सूरत और सादगीपूर्ण तथा सशक्त अभिनय से अपना खास मुकाम बनाने वाले राजकपूर भारतीय फिल्म जगत के सबसे बड़े शो मैन के तौर पर स्थापित हुए। महज 24 साल की उम्र में पिता के साये से अलग राजकपूर बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए। उनकी फिल्म आवारा को भारतीय फिल्म इतिहास की बेहतरीन फिल्मों में गिना जाता है।

राजकपूर भारतीय सिनेमा के पहले ग्लोबल स्टार थे। उन्हें 1987 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार लेने से पहले ही उन्हें अस्थमा का अटैक पड़ा और वे व्हील चेयर से उठ नहीं पाए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए राजकपूर के पास जाकर उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया। राजकपूर को एम्स ले जाया गया, लेकिन एक महीने के इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

3. शशि कपूर - पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे हैं शशि कपूर। शशि कपूर ने अपने पिता के थिएटर और फिल्म दोनों की विरासत को बखूबी संभाला। जब जब फूल खिले, वक्त, दीवार, कभी-कभी और जूनुन जैसी फिल्मों में काम करने के अलावा उन्होंने 34 चौरंगी लेन, उत्सव जैसी फिल्मों का निर्माण भी किया था। शशि कपूर ने अपने पिता की विरासत पृथ्वी थिएटर को न सिर्फ एक बार से जीवित किया बल्कि कई अंग्रेजी फिल्मों का निर्माण भी इसके तहत किया।

हालांकि इसी परिवार के शम्मी कपूर का दावा भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पर मजबूत दिखता है, जिन्होंने अपनी एनर्जी और स्टाइल से ख़ास पहचान बनाई थी।

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वैसे कपूर ख़ानदान के अलावा दो और परिवार ऐसा है, जिसके दो-दो लोगों को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार मिल चुका है। प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर को 1989 में, जबकि उनकी बहन आशा भोंसले को 2000 में दादा साहेब फाल्के मिला था। वहीं फिल्म निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा को 1998 और उनके छोटे भाई यश चोपड़ा को 2001 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।