यह ख़बर 06 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

‘सरहद पर जंग में व्यंग्य डालने का जोखिम लिया है ‘वार छोड़ ना यार’ में’

खास बातें

  • नवोदित फिल्म निर्देशक फराज हैदर ने अपनी फिल्म ‘वार छोड़ ना यार’ में भारत और पाकिस्तान की सरहद पर संघर्ष जैसे गंभीर विषय को हास्य और व्यंग्य के साथ पेश कर इस मुद्दे पर दर्शकों के लिए एक अलग तरह की संदेश देने वाली और मनोरंजक फिल्म बनाने का दावा किया है।
नई दिल्ली:

नवोदित फिल्म निर्देशक फराज हैदर ने अपनी फिल्म ‘वॉर छोड़ ना यार’ में भारत और पाकिस्तान की सरहद पर संघर्ष जैसे गंभीर विषय को हास्य और व्यंग्य के साथ पेश कर इस मुद्दे पर दर्शकों के लिए एक अलग तरह की संदेश देने वाली और मनोरंजक फिल्म बनाने का दावा किया है।

फराज ने बताया कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों को किसी ऐसे माध्यम से उठाना चाहते थे कि लोगों का मनोरंजन भी हो और जंग छोड़ने का संदेश भी पहुंचे। उन्होंने इसके लिए जंग में व्यंग्य डालने का जोखिम उठाया।

उन्होंने यह भी साफ किया कि यह फिल्म पाकिस्तान या किसी भी देश के खिलाफ नहीं बल्कि सरहद पर लड़ाई के खिलाफ है।

फराज का दावा है कि इससे पहले दोनों देशों के बीच इस तरह की कोई फिल्म नहीं बनाई गई है।

फराज ने कहा कि किसी भी नए निर्देशक के लिए अलग तरह की फिल्म बनाना जरूरी है। भारत और पाकिस्तान पर बन रही फिल्म में तो वैसे भी कुछ अलग विषय होना आवश्यक था क्योंकि दोनों देशों के बीच संघर्ष पर संवेदनशील और भावनात्मक प्रकार की कई फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन इस बार जंग पर नई तरह की फिल्म देखने को मिलेगी।

उन्होंने कहा कि फिल्म बनाने में इसलिए भी जोखिम था क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संबंध और सेना के संवेदनशील और तकनीकी पहलुओं का भी पूरा ध्यान रखना था।

नवोदित निर्देशक ने कहा, ‘अच्छी बात यह रही कि मैंने फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसमें दृश्य काटने पड़ें। सेंसर बोर्ड की स्क्रीनिंग कमेटी ने भी बिना कांट-छांट के फिल्म पर अपनी मुहर लगा दी।’

उत्तर प्रदेश के शहर अमरोहा से ताल्लुक रखने वाले फराज ने 11 अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही ‘वार छोड़ ना यार’ की स्क्रिप्ट भी खुद लिखी है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से भौतिकी में एमएससी की पढ़ाई करने वाले युवा निर्देशक ने फिल्म जगत में नए निर्देशकों को काम मिलने की जद्दोजहद के बारे में बताया कि उन्हें मुंबई आये 5-6 साल हो गए हैं और उनका अनुभव है कि मेहनत की जाए और धर्य रखा जाए तो सफलता मिलती है। इसके तरीके अलग अलग हो सकते हैं।

दिवाकर बनर्जी की लोकप्रिय हुई फिल्म ‘ओए लकी लकी ओए’ (2008) में सह-निर्देशन से करियर की शुरुआत करने वाले फराज के मुताबिक सहायक निर्देशक से स्वतंत्र निर्देशक बनने में उनके सामने बड़ा जोखिम था लेकिन उन्होंने यह जोखिम उठाया और पहली ही फिल्म में जावेद जाफरी, शरमन जोशी, सोहा अली खान, मनोज पाहवा तथा संजय मिश्रा जैसे स्थापित कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला।

उन्हें लगता है कि ‘वार छोड़ ना यार’ उनकी अपेक्षा से भी अच्छी बनी है और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेगी।

केवल 33 दिन में फिल्म की शूटिंग पूरी होने का दावा करने वाले फराज के मुताबिक इन सभी बड़े कलाकारों के साथ काम करने में उन्हें मजा आया और सभी ने उनके काम पर, उनकी स्क्रिप्ट पर भरोसा किया।

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राजकुमार हीरानी और राकेश ओमप्रकाश मेहरा को अपने पसंदीदा निर्देशकों में शुमार करने वाले फराज आगे राजनीति के गंभीर विषय पर एक हास्य-व्यंग्य फिल्म और एक कॉमिक थ्रिलर बनाने की योजना बना रहे और इनकी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं।