उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप, हजारों लोग बीमार, जानें डेंगू से बचने के उपाय

Dengue Treatment : उत्तराखंड में डेंगू लगातार बढ़ता ही जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल रहे हैं. इस बीमारी की चपेट में कितने लोग हैं, इसका सही आंकड़ा बताने को कोई तैयार नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि डेंगू से बीमार लोगों की संख्या हजारों में हैं

उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप, हजारों लोग बीमार, जानें डेंगू से बचने के उपाय

Dengue Dever Treatment Guidelines : उत्तराखंड में डेंगू लगातार बढ़ता ही जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल रहे हैं. इस बीमारी की चपेट में कितने लोग हैं, इसका सही आंकड़ा बताने को कोई तैयार नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि डेंगू से बीमार लोगों की संख्या हजारों में हैं. उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य निदेशालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "पूरे प्रदेश में डेंगू ने अपने पैर पसार रखे हैं. निचले क्षेत्र में इसका असर ज्यादा है. प्रदेश में अभी करीब हजारों की संख्या में लोग इसकी चपेट में आ गए हैं. हालात इतने भयावह हो चले हैं कि आम आदमी के साथ स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमा कोई भी इससे अछूता नहीं है. 

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Dengue Fever Causes : लगातार बढ़ रहे डेंगू से सावधानियां ही हैं बचाव. 
 

डेंगू आपके शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाता है और कमजोर कर देता है. इसका सही समय पर उपचार न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है. डेंगू के प्रभावी होने के बाद इसका उपचार करने के बजाए, इससे बचाव के तरीके अपनाना अधिक बेहतर है. हम अपको बता रहे हैं कुछ ऐसे जो डेंगू से आपको बचाने में सहायक होती हैं. आइए जानें वे कौन सी 5 चीजें हैं -   

लक्षण दिखने पर कराएं टेस्ट : अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए. अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन के पास जरूर जाएं. शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराएगा. डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है. इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है. (इनपुट्स - INS )  

प्लेटलेट्स का रखें ध्यान : आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं. प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं. अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं. प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए. अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. 

पानी को न होने दें जमा : घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें. अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें. रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें. डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें, अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें.

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dengue treatment : बच्चों में सबसे ज्यादा रहता है डेंगू फैलने का खतरा. 

लगाएं मच्छरदानी : ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे. खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है. बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं. बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं. रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं.
 नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें।

खुद न बनें डॉक्टर : अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें। अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले। इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं। एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं। मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।

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