विधानसभा चुनाव 2021: खत्म हो गई चुनावों की गहमागहमी, नतीजों पर डालते हैं एक नजर

देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश- पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी में रविवार को विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए. लगभग दो महीनों से इन राज्यों में चुनाव चल रहे थे, वो भी तब जब देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में जकड़ा हुआ है.

विधानसभा चुनाव 2021: खत्म हो गई चुनावों की गहमागहमी, नतीजों पर डालते हैं एक नजर

Assembly Poll Results : 4 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव नतीजे घोषित.

नई दिल्ली: आखिरकार देश में महीनों से चल रही चुनावी गहमागहमी रविवार को थम गई. देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश- पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी में रविवार को विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए. लगभग दो महीनों से इन राज्यों में चुनाव चल रहे थे, वो भी तब जब देश कोरोनावायरस की दूसरी लहर की चपेट में जकड़ा हुआ है. चुनावों को इतने लंबी अवधि तक कराने के फैसले को लेकर चुनाव आयोग की आलोचना भी हुई थी, खासकर तब जब देश में कोरोना के मामले भयंकर तेजी से बढ़ने लगे और पश्चिम बंगाल में आखिरी के कुछ चरणों के चुनावों को एक साथ कराने की मांग उठने लगी थी. खैर, मतदान आयोग के शेड्यूल के हिसाब से ही हुए और कल नतीजे आ गए. सबसे ज्यादा नजरें पश्चिम बंगाल पर टिकी थीं, जहां ममता बनर्जी ने बहुत बड़े मार्जिन से जीत हासिल कर अपनी कुर्सी बनाए रखी है. वहीं, असम में बीजेपी ने वापसी की है. तमिलनाडु में दशकों बाद डीएमके को मौका मिला है, वहीं केरल में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता में बनी रही है. पिनरई विजयन की एलडीएफ ने अपनी सत्ता बनाए रखी है. पुदुच्चेरी में NR कांग्रेस को जीत मिली है, बीजेपी और एआईडीएमके उनके साथ गठबंधन में हैं.

चुनावी नतीजों पर एक नजर

  1. इन विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा निगाहें पश्चिम बंगाल के नतीजों पर टिकी हुई थीं. बीजेपी यहां जी-जान से लगी हुई थी और अपनी पूरी इलेक्शन मशीनरी मैदान में उतार रखी थी, लेकिन ममता बनर्जी के करिश्मा के आगे सबकुछ फेल रहा है. 294 सदस्यीय विधानसभा में 292 सीटों के लिए हुए चुनावों में अब तक घोषित परिणामों एवं रुझानों के अनुसार सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस 213 सीटों पर और मुख्य विपक्षी बीजेपी कुल 77 सीटों पर आगे हैं जबकि लेफ्ट को एक सीट मिली है. 2016 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल को 211 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी के खाते में महज तीन सीटें थीं.

  2. हालांकि, दिलचस्प ये है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सीट नंदीग्राम से हार गईं. ये नतीजे भी बड़े नाटकीय तरीके से सामने आए. पहले खबर आई थी कि ममता 1200 वोटों से जीत रही हैं, जिसके बाद ममता पहली बार व्हीलचेयर छोड़कर अपने पैरों पर चलती हुई बाहर आईं और लोगों का धन्यवाद दिया, लेकिन थोड़ी देर बाद खबर आने लगी कि उनके प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें कुछ 1600 वोटों से हरा दिया है, जिसके बाद ममता ने कहा कि वो इसके लिए कोर्ट जाएंगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि 'कोई बात नहीं, हमने राज्य जीत लिया है.'

  3. नंदीग्राम सीट को लेकर निर्वाचन आयोग ने बताया कि नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी 1,956 मतों से विजयी हुए हैं. आयोग ने पुष्टि की है कि अधिकारी को 1,10,764 मत मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी बनर्जी के पक्ष में 1,08,808 मत पड़े. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक 6227 मतों के साथ सीपीएम की मीनाक्षी मुखर्जी तीसरे स्थान पर रहीं.

  4. तृणमूल कांग्रेस ने इसके मद्देनजर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर दोबारा मतदान कराने की मांग की. पार्टी सूत्रों के मुताबिक तृणमूल ने आरोप लगाया कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और उनकी संख्या में विसंगति है, मतदान प्रक्रिया भी बार-बार रोकी गई और उसकी जानकारी चुनाव अधिकारियों ने नहीं दी. हालांकि, चुनाव आयोग ने पुनर्मतगणना करने से इनकार कर दिया है.

  5. वहीं, असम की बात करें तो बीजेपी नीत एनडीए ने 75 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है. राज्य विधानसभा में कुल 126 सीटें हैं. बीजेपी के हिस्से में 60 सीटें आयी हैं जबकि उसके गठबंधन सहयोगियों असम गण परिषद (एजीपी) के हिस्से में नौ और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के हिस्से में छह सीटें आयी हैं.

  6. कांग्रेस के हिस्से में 29 सीटें आई हैं, जबकि उसके गठबंधन सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के हिस्से में 16 सीटें आई हैं. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को चार और सीपीएम को एक सीट मिली है. 2016 में भाजपा 60 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.

  7. केरल की बात करें तो राज्य में करीब चार दशक से एलडीएफ और यूडीएफ एक-एक कार्यकाल के लिए सत्ता में आते थे, ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी गठबंधन ने लगातार दो बार चुनाव जीता है. कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी और बीजेपी की परंपरागत वाम विरोधी नीतियों ने भी एलडीएफ को आसानी से जीतने में मदद की है. एलडीएफ ने 140 में से 87 सीटें जीती हैं.

  8. तमिलनाडु में डीएमके, एआईडीएमके को सत्ता से उखाड़ फेंकने में कामयाब रही. एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके को इस बार छठी बार तमिलनाडु पर शासन करने का जनादेश मिला है. यहां की 234 सीटों की विधानसभा सीटों में से डीएमके गठबंधन को कुल 159 सीटें मिली हैं, जिसमें 133 डीएमके, कांग्रेस को 18, वीसीके को 4 और सीपीएम, सीपीआई को 2-2 सीटें मिली हैं. डीएमके 2006-11, 1996-2001, 1989-91, 1971-76 और 1967-71 के दौरान राज्य पर शासन कर चुकी है.

  9. सत्तारूढ़ से विपक्षी पार्टी बन चुकी एआईडीएमके गठबंधन को महज 75 सीटें मिली हैं, जिसमें से एआईडीएमके की 66, पीएमके को 5 और बीजेपी के 4 सीटें मिली हैं. 2016 में गठबंधन को 136 सीटें मिली थीं.

  10. केंद्रशासित प्रदेश पुदुच्चेरी की बात करें तो यहां 30 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे, जिनमें से 16 सीटें एनआरसी गठबंधन को मिली हैं. वहीं कांग्रेस गठबंधन को 9 वहीं अन्य को पांच सीटें मिली हैं. बहुमत का आंकड़ा 16 था.