'छवि बिगाड़ने की चाल' : जज ने केस छोड़ा, ममता बनर्जी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में सुवेंदु अधिकारी की जीत को चुनौती देने वाली ममता बनर्जी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

'छवि बिगाड़ने की चाल' : जज ने केस छोड़ा, ममता बनर्जी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज कौशिक चंदा ने ममता बनर्जी पर लगाया जुर्माना

नई दिल्ली:

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज कौशिक चंदा ने ममता बनर्जी पर लगाया जुर्माना, कहा - जज की छवि बिगाड़ने की सोची-समझी चाल है.न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में सुवेंदु अधिकारी की जीत को चुनौती देने वाली ममता बनर्जी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. ममता बनर्जी ने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को हटाने की मांग की थी क्योंकि वह HC की न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले भाजपा से जुड़े थे. जस्टिस कौशिक चंदा ने ये भी कहा कि केस की सुनवाई से पहले ही मेरे फैसले को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की गई थी.

बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट को खत लिखकर कहा था कि उनकी याचिका की सुनवाई किसी और जज को दी जाए. ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से भाजपा के सुभेंदू अधिकारी के जीतने के खिलाफ याचिका दाखिल की है. अभी यह केस जस्टिस कौशिक चंदा को दिया गया है. मुख्यमंत्री की ओर से उनके वकील द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे खत में ममता बनर्जी की इस अपील के पीछे दो वजह बताई थीं.

पहली वजह यह है कि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि जस्टिस चंदा पहले भाजपा से जुड़े थे, ममता बनर्जी ने कहा कि 'पक्षपात की उचित आशंका है... प्रतिवादी के पक्ष में..." इस याचिका में प्रतिवादी अधिकारी हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंदा की पुष्टि पर आपत्ति भी जताई थी. उन्होंने कहा था कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. साथ ही उन्होंने, "न्यायपालिका में जनता का विश्वास बनाए रखने" की आवश्यकता पर जोर दिया था.

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गौरतलब है कि पश्च‍िम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर बीजेपी नेता शुभेंदु अध‍िकारी की जीत को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बता दें कि चुनाव आयोग ने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर फिर से मतगणना कराने के तृणमूल कांग्रेस के अनुरोध को खारिज कर दिया था. अपनी याचिका में, बनर्जी ने मांग की कि सुभेंदु अधिकारी के चुनाव को तीन आधारों पर अमान्य घोषित किया जाए - रिश्वतखोरी, घृणा और शत्रुता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर वोट मांगने और बूथ पर कब्जा करने सहित भ्रष्ट आचरण; मतगणना प्रक्रिया में भी विसंगतियां थीं और फॉर्म 17सी में विसंगतियां और गैर-अनुपालन, जो दर्ज किए गए मतों और मतगणना के परिणाम का लेखा-जोखा है.