किसानों को लिखित आश्वासन दे सकता है केंद्र, किसान नेताओं से फिर साधा संपर्क

प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापसी का ऐलान करने और संसद से उसे वापस लेने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है और वे न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

किसानों को लिखित आश्वासन दे सकता है केंद्र, किसान नेताओं से फिर साधा संपर्क

तीनों कृषि कानून वापसी के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है.

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार (Union Government) ने फिर से कुछ किसान नेताओं (Farmer Leader) से संपर्क साधा है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द किसानों को उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन दे सकती है. इसके साथ ही हरियाणा में किसानों पर हुए मुक़दमों की वापसी पर भी केंद्र सरकार आज ही पत्र जारी कर सकती है.

ऐसा समझा जा रहा है कि अगर सरकार लिखित आश्वासन देती है तो किसान संगठन आंदोलन वापसी का फ़ैसला ले सकते हैं. प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापसी का ऐलान करने और संसद से उसे वापस लेने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है और वे न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज (मंगलवार) ही संसद में किसानों का मुद्दा उठाया. उन्होंने लोकसभा में सरकार से मांग की है कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को मुआवजा और परिवार के सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए. केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि आप की सरकार कह रही है कि कोई किसान शहीद नहीं हुआ और आपके पास नाम नहीं हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के नाम लोकसभा में दिखाते हुए कहा कि किसानों का जो हक है, वह उन्हें मिलना चाहिए.

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अगले साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. सरकार नहीं चाहती कि किसानों के आंदोलन और गुस्से का खामियाजा इन चुनावों में बीजेपी को भुगतना पड़े. सबसे ज्यादा संकट यूपी को लेकर है, जहां पश्चिमी यूपी में जाट किसानों की बहुलता है.

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