NDTV Exclusive: पगड़ी से साथी की जान बचाने वाले बलराज सिंह बोले, 'SI साहब की सेहत के लिए यह जरूरी था'

अभिषेक पांडे और बलराज सिंह दोनों फिलहाल रायपुर के अस्पताल में भर्ती हैं और खतरे से बाहर हैं.

रायपुर :

Chhattisgarh Encounter: छत्‍तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान अपने घायल साथी के पैर से बह रहे खून को रोकने के लिए अपनी पगड़ी निकालकर घाव पर बांधने वाले सिख जवान बलराज सिंह (Balraj Singh) की हर तरफ प्रशंसा हो रही है मुठभेड़ के दौरान चारों तरफ से गोलियां चल रही थीं, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (CoBRA) के बलराज सिंह के आगे सब इंस्पेक्टर अभिषेक पांडे थे, उनके पैर में ग्रेनेड के छर्रे लगे और खून बहने लगा. जिसे रोकने के लिए बलराज ने अपनी पगड़ी खोल दी. इसी दौरान एक गोली से बलराज भी घायल हो गए. अभिषेक पांडे और बलराज दोनों फिलहाल रायपुर के अस्पताल में भर्ती हैं और खतरे से बाहर हैं. NDTV संवाददाता ने बलराज सिंह से बातचीत की, पेश हैं बातचीत के खास  अंश..

प्रश्‍न: सबसे पहला यही सवाल है कि आपका स्वास्थ्य कैसा है?
जवाब: मैं बिल्कुल फिट हूं, डॉक्टर साहब ने कहा है 1-2 दिन में छुट्टी मिल जाएगी

प्रश्‍न: अभी कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है?

जवाब: नहीं, कोई दिक्कत नहीं आ रही है

प्रश्‍न: थोड़ा दुखद है इतने साथी शहीद हो गये, आपको इन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा लेकिन थोड़ा पीछे जाकर बता पाएं क्या हुआ था, कैसे मूवमेंट पर गये थे?
जवाब: जब टार्गेट हिट करके, सर्च करके वापस आ रहे थे तभी नक्सलियों की हरकत दिखाई पड़ी, उसके बाद ही पता लगा वो नजर रखे थे. एसपी साहब ने भी बताया कि इनकी संख्या 400 के आसपास है. आप लोग अलर्ट रहना. तभी उन्होंने मोर्टार, यूजीएल के गोले दागने शुरू कर दिया. दोनों तरफ से बड़ी हाइट थी वहीं एंबुश लगाया था. यू टाइप था, तीन तरफा. हमारे काफी जवान हमारे घायल हो गए.


प्रश्‍न: पहले उन लोगों ने आपको अंदर आने दिया, फिर यू शेप का एंबुश लगाकर हमला किय़ा

जवाब: जी सर.

प्रश्‍न: एक बात सब आपकी तारीफ कर रहे हैं, कैसे आपने अपने साथी, अधिकारी की जान बचाने के लिये अपनी पगड़ी निकालकर उनके घाव पर बांध दी?
जवाब: उस समय हमारे साथ एसटीएफ, डीआरजी के जवान घायल थे, जो हमारे फर्स्ट ऐड देने वाले संतोष सर थे उनकी देखरेख में व्यस्त थे .. तभी एक ग्रेनेड एसआई साहब के पैर के पास फटा था उसके छर्रे से पैर में लगा वो खून इतना निकल रहा था वो दर्द से कराह रहे थे कि कोई पट्टी बांधो, खून रोको.मैंने वहीं पेड़ के पास आड़ ले रखी थी. मैंने चिल्लाना सुना तो पगड़ी के दो हिस्से करके एक हिस्सा पैर में बांध दिया.

प्रश्‍न: उस वक्त आपने सबसे पहले यही सोचा कि जान बचानी है फर्स्ट ऐड का कुछ है नहीं तो पगड़ी बांध दूं?
जवाब: बहुत ज़रूरी था उनकी सेहत के लिये. जंग बहुत लंबी थी. 5-6 घंटे उसमें उनको जिंदा रहना था.हमारे लिये भी ये बहुत जरूरी था.

प्रश्‍न: डीजी साहब विर्क साहब आए उन्होंने आपको पगड़ी भेट की, वही आपकी बात सोशल मीडिया पर भी लेकर आए, क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: मैं जल्दी ठीक हो जाऊं और एक बार वही पगड़ी बांधकर अपना सम्मान सबको दिखाऊं

.प्रश्‍न: क्या आपको लगता है माओवादियों को पहले से जानकारी थी, वो घात लगाकर बैठे थे?
जवाब: जी सर ..इनका मूवमेंट दस-बारह दिन से था. ये अपनी इनपुट दे रहे थे पुलिस को. उसी के चलते वो जो इलाका था ये इनपुट दे रहे थे.ये ट्रैप हो रहे थे तभी ऑपरेशन लॉन्च हुआ.

प्रश्‍न: जब आप लोग वहां पहुंचे तो थोड़ी हैरत हुई कि ऐसे कैसे तीन तरफ से घिर गये?
जवाब: जो सबसे बड़ी इनकी ढाल है वो सिविलियन सपोर्ट है इसी की वजह से फोर्स थोड़ी कमजोर हो जाती है.

प्रश्‍न: अभिषेक जी से आपकी बात हो पाई जिनकी आपने जान बचाई?
जवाब: वो सर साथ में ही हैं, वो अब ठीक हैं. 

प्रश्‍न: कुछ कह रहे थे वो आपसे जो आप हमसे साझा करना चाहते हों?

जवाब: फोन पर बात हुई, वे हालचाल पूछ रहे थे.

प्रश्‍न: अस्पताल से छुट्टी होने के बाद घर जाकर सबसे पहले किसको देखना चाहेंगे, किसकी सबसे ज्यादा याद आ रही है?
जवाब: माता जी की  सबसे ज्यादा याद आ रही है.कुछ दिनों पहले उनको चोट लगी थी वो अस्पताल में थी, सर की चोट थी. अभी जाकर उनसे ही मिलूंगा

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प्रश्‍न: इस दौरान कोई फोन आया, कुछ बात हो पाई?
जवाब: जी..बात हुई.