त्रिवेंद्रम के हबीब से मिलिए, पेशे से हैं कसाई लेकिन कोविड में ऐसे कर रहे टास्क फोर्स की मदद

36 साल के हबीब त्रिवेंद्रम में कसाई का काम करते हैं, लेकिन कोविड के दौर में वो जिला कलेक्टर के तहत आने वाली कोविड टास्क फोर्स की मदद कर रहे हैं. वो कोविड संक्रमित परिवारों के घर और गाड़ियों को सैनिटाइज करते हैं

त्रिवेंद्रम:

त्रिवेंद्रम में पेशे से कसाई 36 साल के हबीब मोहम्मद के लिए उनका काम आधी रात से शुरू होता है और सुबह 8 बजे के आसपास खत्म होता है. इसके बाद वो अपना वक्त एक खास काम करने में बिताते हैं. काम के बाद वो जिले के कोविड टास्क फोर्स की मदद करने के लिए निकल जाते हैं. हर रोज वो अपना काम खत्म करने के बाद अपने घर जाते हैं, राहत कार्य के लिए तैयार होते हैं. दरअसल, उन्होंने कोविड संक्रमित परिवारों के घरों को सैनिटाइज करने का बीड़ा उठाया है. वो तैयार हो रहे होते हैं और उनके बच्चे उनके काम के लिए जो जरूरी उपकरण होता है, वो उनकी स्कूटी पर लोड करते हैं. इसके बाद हबीब क्वारंटीन में रहे रहे संक्रमितों के घर जाते हैं और उन्हें सैनिटाइज करते हैं.

उनके इस काम में कोविड टास्क फोर्स के कई वॉलंटियर्स भी उनसे जुड़ते हैं. किसी संक्रमित के घर पहुंचने के बाद वो पीपीई किट पहनते हैं और फिर उसका घर सैनिटाइज करना शुरू करते हैं. घर का पूरा परिसर, गेट से लेकर वो परिवार की गाड़ी भी सैनिटाइज करते हैं. इसके बाद जब उस परिवार की क्वारंटीन अवधि खत्म हो जाती है तो वो एक बार फिर घर को सैनिटाइज करते हैं.

उनकी सेवा ले चुके एक लाभार्थी शमीर ने कहा, 'मेरा पूरा परिवार पॉजिटिव निकला था, हमने वॉलंटियर हबीब को बताया तो उन्होंने घर के परिसर में सैनिटाइजेशन किया. जब क्वारंटीन अवधि खत्म हो जाएगी, तब वो घर का भीतरी हिस्सा भी सैनिटाइज करेंगे.'

बाढ़ से प्रभावित ऐसे लोग जो स्कूलों में बने रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं, वहां भी हबीब मोहम्मद ने सैनिटाइजेशन का काम किया है. उन्होंने बताया, 'पहले मैंने अपने पैसों से बैटरी मशीन खरीदी. मैंने घरों, मस्जिदों, दुकानों और भीमापल्ली, पुंथुरा, पल्लीपीरव इलाकों में कोविड टेस्ट सेंटरों को सैनिटाइज किया. बाद में जब खर्च बढ़ गया तो स्थानीय लोगों और शुभचिंतकों ने मेरे लिए 20,000 रुपये जुटाए.'

पहली लहर के दौरान हबीब ने अपनी जेब से खर्च किया था. उन्होंने 100 लीटर ब्लीचिंग और सैनिटाइजेशन लिक्विड वगैरह सहित इस काम के लिए कुछ बेसिक उपकरण खरीदे. बाद में स्थानीय लोगों और कुछ समूहों ने उनके लिए 20,000 रुपये जुटाए, जिसकी मदद से उन्होंने बड़े और बेहतर उपकरण खरीदे और अन्य खर्चों का वहन किया.

लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी घटी आय, बार-बार बढ़ते लॉकडाउन और कमजोर होती आर्थिक स्थिति के चलते वो दूसरी लहर के दौरान यह काम नहीं कर पाए. लेकिन अब एक बार फिर से उन्होंने पार्षद और स्थानीय समूहों को आश्वासन दिया है कि वो फिर से अपना सहयोग शुरू करेंगे. 

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लॉटोलैंड आज का सितार सीरीज के तहत हम आम नागरिकों के खास कामों की कहानियां बताते हैं. लॉटोलैंड हबीब मोहम्मद की कोशिश के लिए उनको 1 लाख की नकदी सहायता देगा.