ठाणे महानगरपालिका की करतूत - जिंदा इंसान को फोन करके कहा, अपना डेथ सर्टिफिकेट ले जाओ!

चंद्रेशखर देसाई ने फोन पर जवाब दिया - मैं तो जिंदा हूं, आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं? उन्होंने कहा - हमारे पास रिकॉर्ड है आपको मृत घोषित कर दिया है

ठाणे महानगरपालिका की करतूत - जिंदा इंसान को फोन करके कहा, अपना डेथ सर्टिफिकेट ले जाओ!

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • ठाणे महानगरपालिका ने सफाई दी
  • कहा- डेटा पुणे से आता है इसलिए गलती हो गई
  • देसाई का पिछले साल कोरोना का इलाज हुआ था
मुंबई:

मुंबई से सटे ठाणे शहर में अजीब वाकया सामने आया है. ठाणे महानगरपालिका (Thane Municipal Corporation) के कर्मचारी ने जिंदा इंसान को फोन करके कहा कि आपकी मौत हो चुकी है, डेथ सर्टिफिकेट तैयार है, आकर ले जाओ. हैरान परेशान उस इंसान ने तुरंत टीएमसी कार्यालय जाकर अपनी व्यथा बताई. अगर किसी को सरकारी विभाग से कोई फोन कर यह बताए कि उसकी मौत हो चुकी है, डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) तैयार है लेकर जाईए....तो उस पर क्या बीतेगी? चंद्रेशखर देसाई नाम के व्यक्ति को ऐसी स्थिति की सामना करना पड़ा. 

रिकार्ड में मृत घोषित चंद्रेशखर देसाई ने कहा कि ''मैंने बोला कि मैं तो जिंदा हूं, आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं? उन्होंने कहा हमारे पास रिकॉर्ड है आपको डेड घोषित कर दिया है.'' चंद्रेशखर देसाई ने कहा कि ''यही फोन अगर घर में मेरी पत्नी या मां के पास आ जाता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो सकता था, क्योंकि मेरी मां 80 साल की हैं. मुझे फोन आया तो मैं निभा सका.''

ठाणे के मानपाड़ा में रहने वाले 55 साल के चंद्रेशखर देसाई घाटकोपर में एक स्कूल में पढ़ाते हैं. पिछले साल कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनका अस्पताल में इलाज हुआ था. इसके बाद से वे स्वस्थ हैं लेकिन ठाणे महानगरपालिका के आरोग्य विभाग से आए फोन ने उन्हें जीवित होने पर भी मार दिया.

मामला सामने आने के बाद ठाणे महानगरपालिका ने सफाई दी है. मनपा का कहना है कि डेटा पुणे से सेंट्रलाइज होकर आता है इसलिए ये गलती हो गई. आगे से ऐसा ना हो इसका ध्यान रखा जाएगा. ठाणे मनपा के उपायुक्त संदीप  मालवी ने कहा कि जो ''डिस्चार्ज हैं उनको पोस्ट कोविड कुछ लक्षण हैं क्या? या जिनके घर मे डेथ हुई है वहां कोई और तो बीमार नहीं है? ये सब जानने के लिए कॉल करते हैं. गलती से डेथ की लिस्ट में जिनका नाम था उनको ही फोन लग गया, लेकिन ये लिस्ट हम नहीं बनाते. आगे से हमारे पास जो भी लिस्ट आएगी उसको वेरिफाई करने के बाद ही कॉल करेंगे.''

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सरकारी कर्मचारियों के लिए ये सिर्फ तकनीकी गलती हो सकती है लेकिन एक जिंदा इंसान के लिए खुद की मौत की खबर सुनना जीते जी मरने से कम नहीं है.