शिष्‍या की कस्‍टडी की आध्‍यात्मिक गुरु की याचिका पर SC का दखल से इनकार, ब्रिटनी स्‍पीयर्स केस का दिया हवाला

SC ने केरल हाईकोर्ट को कहा है कि वो जिला जज से मामले की जांच कराएं जो लड़की और उसके परिजनों से बात करे. ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाए.

शिष्‍या की कस्‍टडी की आध्‍यात्मिक गुरु की याचिका पर SC का दखल से इनकार, ब्रिटनी स्‍पीयर्स केस का दिया हवाला

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट से कहा है कि वह जिला जज से मामले की जांच कराए

खास बातें

  • केरल हाईकोर्ट को कहा, जिला जज से मामले की जांच कराएं
  • शिष्‍या के परिजनों से बात करें, ये रिपोर्ट SC को भी भेजें
  • आध्यात्मिक गुरु कैलाश नटराजन ने दाखिल की है याचिका
नई दिल्ली:

केरल के एक आध्यात्मिक गुरु (spiritual guru) की शिष्या की कस्टडी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दखल देने से इनकार किया. हालांकि SC ने केरल हाईकोर्ट (Kerala High court) को कहा है कि वो जिला जज से मामले की जांच कराएं जो लड़की और उसके परिजनों से बात करे. ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाए. प्रधान न्‍यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और हालात को देखते हुए हम इस मामले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. याचिकाकर्ता दो बच्चों का पिता है और लड़की मानसिक रुप से ठीक नहीं है लेकिन अपने आप को संतुष्ट करने के लिए हम हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से अनुरोध करते हैं कि जिला जज  मामले की जांच करें और लड़की और माता-पिता से बातचीत करें और इस अदालत को एक रिपोर्ट भेजें.

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खास बात ये है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने अमेरिका में पॉप सिंगर ब्रिटनी स्पीयर्स केस का हवाला भी दिया जिसने अपने पिता की रूढि़वादिता के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दी है. दरअसल, एक आध्यात्मिक गुरु ने अपनी शिष्या की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.42 वर्षीय कैलाश नटराजन का दावा है कि 21 वर्षीय उसकी शिष्या लक्ष्मी को उसके माता-पिता ने गैरकानूनी रूप से अपनी कस्टडी में रखा है.याचिकाकर्ता ने महिला को पना स्प्रिचुअल लिव-इन पार्टनर बताया है. साथ ही उसने केरल हाईकोर्ट के उस निर्णय को भी चुनौती दी है जिसमें अदालत ने महिला की मर्जी के खिलाफ उसकी कस्टडी उसके माता-पिता को सौंप दी थी.

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याचिकाकर्ता कैलाश नटराजन खुद को मशहूर लाइफ ऑफ डॉक्टर बताया है. उसने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत दायर याचिका दायर की है,साथ ही उसने हदिया केस के फैसले का भी हवाला दिया है जिसमें संवैधानिक अदालत ने व्यस्क महिला के अपने जीवनसाथी चुनने के अधिकार को तवज्जो दी थी.उस मामले में हदिया के माता-पिता ने लव जिहाद का आरोप लगाया था. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया था कि यह परेशान करने वाला था कि HC ने उस महिला की बात नहीं मानी जिसने अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ जाने की इच्छा की. बालिग होने के बावजूद हाईकोर्ट ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी कस्टडी उसके माता-पिता को दे दी. मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि महिला का आध्यात्मिक गुरु होने के नाते क्या आपकी महिला में कोई रुचि है. क्या आप कोई ऐसा सबूत दिखा सकते हैं जिससे यह साबित हो कि आप इनके आध्यात्मिक गुरु हैं. क्या महिला ने अपनी गैर कानूनी हिरासत के खिलाफ पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराई है.