CM योगी के सामने गोरखपुर की इस सीट पर BJP को जीत दिलाने की चुनौती, क्या तोड़ पाएंगे तिवारी परिवार का दबदबा

चिल्लूपार विधानसभा सीट पूर्वांचल की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. 2017 विधानसभा चुनाव में चिल्लूपार सीट से बीएसपी के टिकट पर विनय शंकर तिवारी ने जीत का परचम लहराया.

CM योगी के सामने गोरखपुर की इस सीट पर BJP को जीत दिलाने की चुनौती, क्या तोड़ पाएंगे तिवारी परिवार का दबदबा

बीजेपी को CM योगी के गढ़ में मिलेगी चुनौती (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Polls 2022) को लेकर सियासी रस्साकशी तेज होती जा रही है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर बीजेपी को दोबारा सत्ता दिलाने के साथ अपने गृह जिले गोरखपुर में राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की भी चुनौती है. गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्र में मठ का खासा प्रभाव माना जाता है. बीजेपी 2017 में तमाम कोशिशों के बावजूद गोरखपुर की एक सीट जीतने में नाकाम रही. वह सीट है चिल्लूपार विधानसभा (Chillupar Assembly Seat). चिल्लूपार विधानसभा सीट पूर्वांचल की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है.

2017 विधानसभा चुनाव में चिल्लूपार सीट से बीएसपी के टिकट पर विनय शंकर तिवारी ने जीत का परचम लहराया. विनय शंकर तिवारी पूर्वांचल के दिग्गज नेता हरिशंकर तिवारी (Hari Shankar Tiwari) के बेटे हैं. हरिशंकर तिवारी के बारे में कहा जाता है कि वह पहले बाहुबली रहे जो जेल से न सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि जीते भी. यही नहीं, तिवारी बीजेपी, सपा और बसपा की सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी रहे. एक समय कहा जाता था कि सरकार किसी की भी बने तिवारी जी का मंत्री बनना तय है. 

हरिशंकर तिवारी की राजनीतिक विरासत अब उनके बेटे विनय शंकर तिवारी और भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी संभाल रहे हैं. भीष्म शंकर तिवारी बीएसपी (BSP) से सांसद रह चुके हैं. हाल ही में हरिशंकर तिवारी के परिवार के दिग्गज नेताओं विनय शंकर तिवारी, भीष्म शंकर तिवारी और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी को 2022 के विधानसभा चुनाव में चिल्लूपार सीट पर तिवारी परिवार की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. 

चिल्लूपार विधानसभा सीट पर 4 लाख से अधिक मतदाता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के विनय शंकर तिवारी को  78177 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजेश त्रिपाठी को 74818 मत मिले थे. जीत का अंतर 3359 वोट था. 

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