20,000 करोड़ का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है? क्यों हो रहा विरोध? कौन-कौन बिल्डिंग हो जाएगी धराशायी?

Central Vista Project: केंद्र सरकार ने साल 2019 में देश के 'पावर कॉरिडोर' को एक नई पहचान दिलाने के लिए इस परियोजना की घोषणा की थी. इस परियोजना में 10 बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ एक नई संसद, प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का निर्माण एवं सभी सरकारी मंत्रालयों और विभागों को समायोजित करने की योजना है

20,000 करोड़ का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है? क्यों हो रहा विरोध? कौन-कौन बिल्डिंग हो जाएगी धराशायी?

2024 तक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पूरा होने का अनुमान है.

नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की दूसरी लहर और पर्यावरणविदों के विरोध के बीच नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) की अति महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना (Central Vista Redevelopment Project) का निर्माण कार्य दिल्ली (Delhi) में पूरे जोरों पर है. विपक्षी दल भी मोदी सरकार के इस अहम प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि कोविड काल में जहां लोगों को इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है, वहां पीएम मोदी अपने लिए आलीशान आवास बनाने पर आमादा हैं.

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
यह केंद्र की एनडीए सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा निर्मित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित सेंट्रल विस्टा नामक 3.2 किलोमीटर के हिस्से का पुनर्विकास करना है. इस परियोजना में प्रतिष्ठित स्थलों सहित कई सरकारी भवनों को ध्वस्त करना और उनका पुनर्निर्माण करना शामिल है. 20,000 करोड़ रुपये की कुल लागत वाले इस प्रोजेक्ट में एक नई संसद भवन का निर्माण करना भी शामिल है. नई संसद भवन के निर्माण पर करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है.

केंद्र सरकार ने साल 2019 में देश के 'पावर कॉरिडोर' को एक नई पहचान दिलाने के लिए इस परियोजना की घोषणा की थी. इस परियोजना में 10 बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ एक नई संसद, प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का निर्माण एवं सभी सरकारी मंत्रालयों और विभागों को समायोजित करने की योजना है. 2024 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का अनुमान है. प्रोजेक्ट का निष्पादन केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय कर रहा है.

प्रोजेक्ट की खासियत और अहम बातें:
नई संसद भवन परिसर, का आकार त्रिकोणीय होगा जो कुल 64,500 वर्ग मीटर में फैला होगा. यह मौजूदा संसद भवन से काफी बड़ा होगा. इसमें 1,224 संसद सदस्यों का दफ्तर हो सकता है. नई संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के डिजाइन का मुख्य आधार होगा. नई बिल्डिंग में लोकसभा में 888 सांसद और राज्यसभा में 384 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी.

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फिलहाल, लोकसभा में 545 और राज्यसभा में 245 सांसद हैं. नई बिल्डिंग में अधिक सांसदों के बैठने की व्यवस्था करने का मकसद भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ाना भी हो सकता है. नई संसद भवन 2022 तक बन जाने का अनुमान है.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का क्यों हो रहा विरोध?
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए मोदी सरकार ने मार्च में 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. अप्रैल में देश में कोरोना वायरस ने विकराल रूप ले लिया. बढ़ते मरीजों की वजह से देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों का संकट आ खड़ा हुआ. इसे देखते हुए विपक्षी नेताओं ने सरकार से इस परियोजना को रद्द करने और कोरोनोवायरस संकट से निपटने के प्रयासों के लिए उस धन का उपयोग करने का आग्रह किया था.

इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों में दूसरा धड़ा संरक्षणवादियों का है. उनका मानना है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट वर्तमान इमारत के इतिहास के साथ हस्तक्षेप है, जिसे एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था. उनके मुताबिक 1927 की इमारत अब एक खोई हुई विरासत होगी.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध करने वाला तीसरा धड़ा पर्यावरणविदों का है. पर्यावरणविदों का दावा है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है. कई सिविल सोसायटी ग्रुप और पर्यावरण संगठनों ने केंद्र से महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना को कम से कम महामारी खत्म होने तक रोकने की अपील की है. 65 संगठनों ने इस बावत साझा बयान जारी कर केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट रोकने की अपील की थी. इनके अलावा 76 बुद्धिजीवियों (इतिहासकारों, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, चित्रकारों, आदि) ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर प्रोजेक्ट को रोकने और उस पर पुनर्विचार करने को कहा है.

कौन-कौन सी बिल्डिंग होगी धराशायी?
इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले कार्यालयों के लिए रास्ता बनाने के उद्देश्य से क्षेत्र की कई ऐतिहासिक इमारतों को तोड़ दिया जाएगा. परियोजना के लिए कुल 4,58,820 वर्ग मीटर क्षेत्र को ध्वस्त किया जाएगा. प्रोजेक्ट के तहत, केंद्रीय सचिवालय परियोजना की पहली तीन इमारतों के साल 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. ये इमारतें जनपथ पर स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (INGCA) की जगह लेंगी, जो राष्ट्रीय राजधानी की एक ऐतिहासिक इमारत है जिसमें कई विरासत के टुकड़े, पांडुलिपियां और एक विशाल पुस्तकालय भी है. अब इसे हैदराबाद हाउस के सामने शिफ्ट किया जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में INGCA का उद्घाटन किया था.

INGCA अकेली बिल्डिंग नहीं जो धराशायी होगी. इनके अलावा शास्त्री भवन, कृषि भवन, विज्ञान भवन, उप राष्ट्रपति निवास, नेशनल म्यूजियम, जवाहरलाल नेहरू भवन, निर्माण भवन, उद्योग भवन, रक्षा भवन, एनेक्सी बिल्डिंग और पीएम आवास लोक कल्याण मार्ग समेत 12 ऐतिहासिक इमारतें ध्वस्त कर दी जाएंगी.

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