क्या है ट्विटर विवाद? मोदी सरकार से हाल के दिनों में क्यों बढ़ी तकरार? 

ट्विटर ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के अकाउंट से भी ब्लू टिक हटा दिया है. इनके अलावा संघ के दो बड़े नेताओं सुरेश सोनी और अरुण कुमार का भी अकाउंट अनवेरिफाइड कर दिया है. हालांकि, उप राष्ट्रपति के पर्सनल अकाउंट का ब्लू टिक बहाल कर दिया है.

क्या है ट्विटर विवाद? मोदी सरकार से हाल के दिनों में क्यों बढ़ी तकरार? 

केंद्रीय सूचना एवं प्रद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) ने आज उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President M Venkaia Naidu) समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कुछ नेताओं के पर्सनल ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया. हालांकि, बाद में विवाद बढ़ता देख ट्विटर ने उप राष्ट्रपति के पर्सनल अकाउंट का ब्लू टिक फिर से बहाल कर दिया. इस मामले में ट्विटर ने सफाई दी कि जुलाई 2020 से अकाउंट को लॉग इन नहीं किए जाने के कारण ऐसा हुआ है. ट्विटर की इस कार्रवाई पर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नाराजगी जाहिर की है. मंत्रालय ने कहा है कि इस माले में ट्विटर से सख्ती से निपटा जाएगा.

क्या है ट्विटर विवाद?
किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी. उस दौरान ऐतिहासिक लाल किले पर हिंसा हुई थी और उपद्रवियों ने तिरंगे की जगह धार्मिक झंडा फहरा दिया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने ट्विटर को 1100 अकाउंट ब्लॉक करने और कई विवादित हैशटैग हटाने के निर्देश दिए थे. सरकार का दावा था कि इनमें से अधिकांश अकाउंट खालिस्तान समर्थकों के हैं, जो किसान आंदोलन में दुष्प्रचार कर रहे हैं और गलत जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पर्सनल ट्विटर अकाउंट से हटा ब्लू टिक कुछ ही घंटों में आया वापस

सरकार के निर्देश पर ट्विटर ने कुछ अकाउंट ब्लॉक कर दिए और विवादित हैशटैग हटा दिए लेकिन बाद में कई अकाउंट फिर से बहाल कर दिया और कहा कि इनमें से अधिकांश मीडिया से जुड़े लोगों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हैं. ट्विटर ने एक बयान जारी कर कहा, "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करते रहेंगे और भारतीय कानून के मुताबिक इसका रास्ता भी निकाल रहे हैं." केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की.

कांग्रेस टूलकिट और मैनिपुलेटेड मीडिया का विवाद:
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच जब लोग अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे थे तब केंद्र सरकार की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हो रही थी. इसी बीच बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा और बीजेपी महासचिव बीएल संतोष ने चार-चार पन्नों की दो डाक्यूमेंट के स्क्रीनशॉट ट्विटर पर साझा किए थे और दावा किया था कि ये कांग्रेस का टूलकिट है. इनमें से एक डॉक्यूमेंट कोरोना से तो दूसरा सेंट्रल विस्टा से जुड़ा था.  

आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस अपने लोगों के जरिए सोशल मीडिया पर मोदी सरकार को बदनाम कर रही है. बीजेपी के कई नेताओं ने पात्रा के ट्वीट को #CongressToolkitExposed हैशटैग के साथ शेयर किया था. इनमें कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे.

RSS के बड़े नेताओं के ट्विटर हैंडल से हटा 'ब्लू टिक', केंद्र सरकार और Twitter के बीच टकराव

कांग्रेस नेताओं ने ट्विटर से इसकी शिकायत की कि बीजेपी के नेता फर्जी दस्तावेज साझा कर रहे हैं. इस पर कार्रवाई करते हुए ट्विटर ने पात्रा के पोस्ट को 'मैनिपुलेटेड मीडिया' का टैग दे दिया. बीजेपी इससे नाराज हो गई और टैग हटाने को कहा. दूसरी तरफ, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने  ट्विटर  से कांग्रेस टूलकिट मैनिपुलेटेड मामले में जवाब-तलब किया और मामले की सभी जानकारी दिल्ली पुलिस के साथ शेयर करने को कहा.

ट्विटर के दफ्तर पहुंची दिल्ली पुलिस:
इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस की छह सदस्यीय टीम 24 मई को ट्विटर के गुरुग्राम और लाडोसराय के दफ्तर भी जा पहुंची. कहा गया कि पुलिस ट्विटर के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंडिया) को मामले में नोटिस थमाने गई थी. ट्विटर ने इस पर नाराजगी जताई थी.

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इस बीच 27 मई को सरकार से टकराव के बीच नए डिजिटल नियमों पर ट्विटर ने अपनी चुप्पी तोड़ी और 
"अभिव्यक्ति की आजादी पर संभावित खतरे" को लेकर चिंता जताई. ट्विटर ने कहा कि वो "लागू कानून का पालन करने की कोशिश करेगी", हालांकि, ऐसा पारदर्शिता के सिद्धांतों के साथ ही होगा. केंद्र सरकार ने ट्विटर के इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि ट्विटर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.