कौन हैं विद्युत मोहन? जिनका आविष्कार वायु प्रदूषण में हो सकता है 'गेमचेंजर', ग्लासगो में मिल चुके हैं PM मोदी 

विद्युत मोहन द्वारा विकसित किया गया उपकरण चावल के भूसे, नारियल के गोले से ऊर्जा पैदा कर सकता है. यह मशीन कॉफी भुनने के सिद्धांत पर आधारित है. इसके तहत कचरे को नियंत्रित तापमान पर भुना जाता है जिससे कृषि भूमि में उपयोग के लिए ईंधन, उर्वरक और अन्य उत्पादों का उत्पादन होता है.

ग्लासगो:

दिल्ली की पुनर्चक्रण (Recycling) कंपनी टकाचार के संस्थापक और मैकेनिकल इंजीनियर विद्युत मोहन (Vidyut Mohan) द्वारा बनाई गई नई पोर्टेबल और कम लागत वाली मशीन को वायु प्रदूषण (Air Pollution) के संभावित समाधान के तौर पर पेश किया जा रहा है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (UN Climate Change Summit) में भाग लेने के दौरान स्कॉटलैंड के ग्लासगो (Glasgow) में उनसे मुलाकात की थी.

30 वर्षीय विद्युत मोहन अक्सर बीमार पड़ते थे या अपनी दादी को दिल्ली की जहरीली हवा के कारण बीमार पड़ते हुए देखते थे. इसके बाद उन्होंने स्वच्छ वायु समाधान के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया और उनके आविष्कार ने अर्थशॉट पुरस्कार जीता. उनका नवाचार (innovation) छोटे पैमाने का एक योग्य उपकरण है जो टन भर कृषि कचरे को नवीकरणीय ईंधन और उर्वरकों में बदल सकता है.

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विद्युत मोहन द्वारा विकसित किया गया उपकरण चावल के भूसे, नारियल के गोले से ऊर्जा पैदा कर सकता है. यह मशीन कॉफी भुनने के सिद्धांत पर आधारित है. इसके तहत कचरे को नियंत्रित तापमान पर भुना जाता है जिससे कृषि भूमि में उपयोग के लिए ईंधन, उर्वरक और अन्य उत्पादों का उत्पादन होता है.

इस उपकरण को उत्तराखंड में पायलट किया गया था और अब कई स्थानों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है. यह तकनीक कार्बन उत्सर्जन को 98% तक कम कर सकती है और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मददगार साबित हो सकती है. इसके अलावा रोजगार भी पैदा कर सकती है.

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Takachar.com के संस्थापक विद्युत मोहन को उम्मीद है कि पीएम मोदी के साथ हुई उनकी मुलाकात इनोवेशन को बड़े पैमाने पर ले जाने के लिए सरकार के साथ साझेदारी में तब्दील होगी. विद्युत मोहन ने कहा, "प्रधान मंत्री मोदी के साथ मेरी मुलाकात बहुत छोटी थी, केवल दो मिनट ही लंबी थी. वह मशीन के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे. वह जानना चाहते थे कि मशीन कैसे काम करती है? वह यह भी जानना चाहते थे कि ये किसानों ने इसे हासिल हो पा रहा है और हम इसे कहां और कैसे बना रहे हैं? वह बहुत उत्सुक थे. हमारा उद्देश्य इस समाधान को जल्द से जल्द लोगों तक पहुंचाना है लेकिन हम इसे अकेले नहीं कर सकते हैं. इसमें सरकार एक बड़ी भूमिका निभा सकती है और निजी निगम हमारे साथ काम कर सकते हैं ताकि मूल्य श्रृंखला में स्थिरता लाई जा सके."
 

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