यह ख़बर 11 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

आंध्र में डॉक्टरों की हड़ताल से 10 की मौत

खास बातें

  • आंध्र प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों द्वारा हड़ताल किए जाने और आपातकालीन सेवाओं के बहिष्कार के कारण शुक्रवार रात से अब तक कम से कम 10 मरीजों की मौत हो गई।
हैदराबाद:

आंध्र प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों द्वारा हड़ताल किए जाने और आपातकालीन सेवाओं के बहिष्कार के कारण शुक्रवार रात से अब तक कम से कम 10 मरीजों की मौत हो गई। उधर, राज्य सरकार का कहना है कि मरीजों की मौत का हड़ताल से कोई सम्बंध नहीं है।

अस्पताल अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात से गांधी अस्पताल में आठ और एक-एक मरीज की मौत विशाखापट्टनम एवं कुर्नूल में हुई। पीड़ित परिजनों ने मौत का कारण पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं का अभाव बताया है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री कोंडरू मुरली ने पत्रकारों को बताया कि मरीजों की मौत इसलिए हुई क्योंकि उन्हें अस्पताल लाने में काफी देरी हुई और भर्ती के वक्त उनकी हालत काफी नाजुक थी। उन्होंने कहा, "यह सामान्य मौतें हैं और इनका हड़ताल से कोई लेना देना नहीं है।"

फिलहाल हड़ताल खत्म होने की उम्मीद शनिवार शाम को बढ़ गई जब राज्य सरकार ने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के साथ वार्ता शुरू की। मंत्रिमंडल की उपसमिति समस्या के समाधान के लिए डॉक्टरों की मांगों पर विचार कर रही है।

राज्य में 10 मेडिकल कॉलेजों के लगभग 3000 जूनियर डॉक्टर मानदेय में 40 फीसदी की वृद्धि एवं गांवों में अनिवार्य नियुक्ति की अवधि तीन से घटाकर एक वर्ष करने की मांग को लेकर करीब एक महीने से हड़ताल पर हैं। हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों के समर्थन में शुक्रवार शाम से आपात सेवाओं का भी बहिष्कार कर दिया है।

सरकार द्वारा हड़ताल खत्म करने के बाद वार्ता करने के निर्णय पर जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार शाम से आपातकालीन सेवाओं के बहिष्कार का निर्णय लिया था।

अस्पतालों में आपात सेवाओं की 90 फीसदी जिम्मेदारी जूनियर डॉक्टरों पर होती है। इस हड़ताल से हैदराबाद स्थित उस्मानिया एवं गांधी अस्पताल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

आपात सेवाओं के बहिष्कार के कारण विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, काकीनाड़ा, तिरुपति, अनंतपुर, कुर्नूल एवं वारंगल जिले के अस्पतालों की गहन चिकित्सा इकाइयों में अव्यवस्था फैल गई है।

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हड़ताल से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब तबके के लोग हुए हैं।