हाथरस में पीड़‍ित परिवार और आरोपियों के बीच 6 महीने में फोन पर 104 बार हुई थी बात : यूपी पुलिस के सूत्र

हाथरस (Hathras Gang Rape) में पीड़िता की मौत को एक हफ़्ता बीत चुका है लेकिन पूरे मामले पर राजनीति से लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.

हाथरस में पीड़‍ित परिवार और आरोपियों के बीच 6 महीने में फोन पर 104 बार हुई थी बात : यूपी पुलिस के सूत्र

हाथरस (Hathras Gang Rape) में पीड़िता की मौत को एक हफ़्ता बीत चुका है लेकिन पूरे मामले पर राजनीति से लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. यूपी पुलिस (UP Police) के सूत्रों से कॉल रिकॉर्ड (Hathras Call Records) सामने आए हैं जिसमें 104 बार पीड़ित परिवार और आरोपी के बीच बातचीत सामने आई है. वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि वो अब ऊंची जाति के डर से गांव में नहीं रहना चाहते. उधर सुरक्षा के नाम पर पीड़ित परिवार के घर और दरवाज़े पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. कौन आ रहा है और परिवार क्या कर रहा है अब इसकी ख़बर प्रशासन को रहेगी. 100 घरों के इस गांव में सिर्फ़ 4 घर दलितों के हैं, बाक़ी लगभग सारे घर ऊंची जाति के लोगों के और सभी चार आरोपी भी ऊंची जाति के हैं. तमाम सुरक्षा के बावजूद दहशत के कारण पीड़ित परिवार का कहना है कि वो अब इस गांव नें नहीं रहेंगे.

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पीड़ित के पिता का कहना है, 'हम तो पहले भी झुक कर रहते थे, इन सबको देख कर सीता राम कहा करते थे. हम यहां नहीं रहेंगे, कहीं और झोपड़ी बना लेंगे. आज बेटी के साथ हुआ, कल को मेरी पोतियों को कुछ हो गया तो.'

पीड़ित परिवार का भय जायज़ भी है, तमाम ऊंची जाति के संगठनों के लोग आरोपियों का पक्ष लेकर पीड़ित परिवार को ही दोषी बताने पर लगे हुए हैं. बूलगढ़ी गांव के प्रधान ठाकुर राम कुमार गांव में पीपल के पेड़ के नीचे पंचायत लगाकर बैठे हैं. उनका कहना है कि पीड़िता और आरोपी संदीप के बीच प्रेम प्रसंग था और उन्होंने चार महीने पहले दोनों परिवारों के बीच पंचायत भी कराई थी. वो कहते हैं, 'दोनोँ के बीच प्रेम प्रसंग था, मैंने पंचायत कराई थी. फिर लड़का बाहर चला गया और फिर वापस आया था. गैंगरेप वाली बात झूठी है और ये पीड़ित परिवार झूठ बोल रहा है.'

इस बीच यूपी पुलिस के सूत्रों के हवाले से पीड़िता के भाई के नंबर और मुख्य आरोपी संदीप के नंबर पर अक्टूबर 2019 और मार्च 2020 के बीच 104 बार बातचीत होने की बात सामने आई. वहीं CDR पर पीड़िता के भाई का कहना है कि उनके परिवार का आरोपियों से कोई संबंध या बातचीत नहीं थी, अगर पुलिस के पास कॉल की ऑडियो है तो सामने लाए.

पीड़िता के भाई ने कहा, 'हमारा उनसे कोई लेना देना नहीं था. हमारे पूरे परिवार में सिर्फ़ एक फ़ोन है. पुलिस के पास कॉल के ऑडियो हों तो सामने लाए.'

पीड़िता के घर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. पर सवाल ये है कि इतनी सुरक्षा के बीच ऊंची जातियों के इस गांव में पीड़िता का परिवार सुरक्षित क्यों नहीं महसूस कर रहा है. कैमरे पर या ऑनरिकार्ड एक भी पुलिस अधिकारी सामने आई कॉल डीटेल्स की पुष्टि नहीं कर रहा है. बात साफ़ है कि पुलिस और प्रशासन मामले की लीपापोती करने के लिए मीडिया के ज़रिए पीछे से पूरे मामले को नया मोड़ देने में लगे हुए हैं.

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