अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ये 12 फैसले क्या काफी हैं?

देश की अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से कोशिशें जारी हैं. पिछले 2 महीने में वित्तमंत्री की ओर से देश को मंदी की ओर जाने से रोकने के लिए कई ऐलान किए गए हैं. आज हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कारपोरेट टैक्स घटाकर 30 फीसदी से 25.2 फीसदी कर दिया है.

अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ये 12 फैसले क्या काफी हैं?

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से कोशिशें जारी हैं. पिछले 2 महीने में वित्तमंत्री की ओर से देश को मंदी की ओर जाने से रोकने के लिए कई ऐलान किए गए हैं. आज हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कारपोरेट टैक्स घटाकर 30 फीसदी से 25.2 फीसदी कर दिया है. उनके इस ऐलान के बाद शेयर बाजार में तगड़ा उछाल आया और सेंसेक्स 1600 अंकों तक पहुंच गया है. गौरतलब है कि इस तिमाही में देश की विकास दर 5 फीसदी पर पहुंच गई है. इसके बाद से मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए जीएसटी को वजह बताया. इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को कुछ कदम उठाने की सलाह दी. मंदी का सबसे कारण घरेलू बाजार में मांग की कमी है जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित है. इसका सबसे ज्यादा असर ऑटो सेक्टर पर दिखाई दे रहा है. वहीं मैन्यूफैक्चरिंग और कृषि के हालात भी ठीक नहीं है. सरकार इससे निपटने के लिए पिछले दो महीने में कई बड़े ऐलान कर चुकी है और कई फैसले भी वापस भी लिए हैं जो बजट के दौरान किए गए थे. हालांकि उसकी ओर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंदी का असर भारत पर बताया जा रहा है. इससे पहले जो ऐलान किए गए थे उसका स्वागत भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने भी किया है और उम्मीद जताई कि इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के 12 फैसले

  1. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी ताकि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें उन्होंने कहा कि रेपो रेट से ब्याज दरें भी जुड़ेंगी. रेपो रेट कम होने पर होम और कार लोन सस्ते होंगे.

  2. कर्ज की अर्जियां ऑनलाइन देखी जा सकेंगी. लोन सेटलमेंट की शर्तों को आसान बनाया जाएगा. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को भी 30 हजार करोड़ रुपये देने का ऐलान. 

  3. अब से 60 दिनों के अंदर जीएसटी का रीफंड मिलेगा. वहीं, लघु उद्योंगों को 30 दिन में जीएसटी का रीफंड मिलेगा. इसी तरह एमएसएमई ऐक्ट में उद्योंगों की एक ही परिभाषा होगी. उन्होंने कहा की डीमैट खातों में भी आधार की केवाईसी चलेगी. सरकारी काम के लिए वक्त पर पैसा जारी किया जाएगा. 

  4. 31 मार्च 2020 तक खरीदी गईं बीएस फोर गाड़ियां अब मान्य होंगी. रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोतरी भी जून 2020 तक टाल दी गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि घर खरीदारों की भी जल्द राहत मिलेगी. नई सरकारी गाड़ियों की खरीद पर रोक भी हटा ली गई है.इस पर सरकार बेहद गंभीरता से काम कर रही है. 

  5. लॉन्ग, शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन सरचार्ज वापस लिया जाएगा. सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनस और ईज ऑफ लिविंग पर फोकस कर रही है. अब विजयादशमी से केंद्रीय सिस्टम से नोटिस भेजे जाएंगे. टैक्स के नाम पर किसी को परेशान नहीं किया जाएगा.

  6. स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके लिए एंजल कर के प्रावधान को भी वापस लेने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा. 

  7. निर्यात उत्पादों पर करों एवं शुल्कों से छूट (रोडीटीईपी) अमल में आ जाएगी. यह देश से वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात संवर्धन की योजना (एमईआईएस) की जगह लेगी. इस योजना से सरकारी राजस्व पर 50 हजार करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ने का अनुमान है. 

  8. इसके अलावा निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) निर्यात ऋण बीमा योजना का दायरा बढ़ाएगा. इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रुपये आएगी.

  9.  इनपुट टैक्स क्रेडिट का पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रिफंड, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर माल की अवाजाही में लगने वाले समय को दिसंबर से कम करने तथा मुक्त व्यापार समझौता उपयोग मिशन की भी स्थापना करने का निर्णय लिया गया.

  10. सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी कई अहम ऐलान किए हैं. एक्सपोर्ट क्रेडिट के लिए 36,000 करोड़ से 68,000 रुपए और दिए जाएंगे.

  11. नई योजना रेमिशन ऑफ ड्यूटीज-टैक्सेस ऑन एक्सपोर्ट के जरिए एक्सपोर्टर को 50 हजार करोड़ रुपए का फायदा दिया जाएगा.  हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री निर्यात के  लिए ई-कॉमर्स का इस्तेमाल कर पाएगी. 

  12. फंड की कमी से अटके मिडिल क्लॉस किफ़ायती हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए सहायता दी जाएगी. इसके लिए सरकार 10000 करोड़ देगी. लेकिन इसका लाभ वही बिल्डर्स उठा पाएंगे जिनका  NPA नहीं है और न ही जिनके केस दिवालिया अदालत में चल रहे हैं.