मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर वार, 15 और वरिष्ठ अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के 15 बहुत वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है.

मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर वार,  15 और वरिष्ठ अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

मोदी सरकार ने 15 और अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है.

खास बातें

  • सरकार ने 15 और वरिष्ठ अधिकारियों को रिटायर कर दिया है
  • ये सभी अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं
  • इससे पहले 12 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया था
नई दिल्ली :

केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ ही दिन पहले एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर करने के बाद मंगलवार को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन्डायरेक्ट टैक्सेज़ एंड कस्टम्स - CBIC) से प्रधान आयुक्त (प्रिंसिपल कमिश्नर), आयुक्त (कमिश्नर), अतिरिक्त आयुक्त (एडीशनल कमिश्नर) तथा उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) रैंक के 15 बहुत वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है. नरेंद्र मोदी सरकार ने इससे पहले भी इसी महीने की शुरुआत में भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था

पहले रिटायर किये गए अधिकारयों में आयुक्त और संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल थे. उस समय सूची में शामिल एक निलंबित संयुक्त आयुक्त के खिलाफ स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी व्यवसायी से जबरन वसूली करने तथा भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें थी. उस सूची में नोएडा में तैनात आयुक्त (अपील) के पद का IRS अधिकारी भी था, जिस पर आयुक्त स्तर की दो महिला IRS अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है. 

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इनके अलावा, आयकर विभाग के एक आयुक्त के खिलाफ CBI की भ्रष्टाचार रोधी शाखा ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था और उन्हें अक्टूबर, 2009 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था. अब सरकार ने उन्हें भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा है. एक अन्य अफसर, जो भ्रष्टाचार और जबरन वसूली में लिप्त था और जिसने कई गलत आदेश पारित किए थे, जिन्हें बाद में अपीलीय प्राधिकरण ने पलट दिया था, को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.  

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आयुक्त स्तर के एक अन्य अधिकारी पर मुखौटा कंपनी के मामले में एक व्यवसायी को राहत देने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था. इसके अलावा पद का दुरुपयोग कर चल-अचल संपत्ति इकट्ठा करने का भी आरोप इस अधिकारी के खिलाफ था. इस अधिकारी को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. 

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