18 AIADMK विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में तमिलनाडु विधानसभा स्पीकर का फैसला बरकरार
नई दिल्ली: अन्नाद्रमुक (AIADMK) के 18 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट का फ़ैसला आ गया है. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के 18 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर के फैसले को बरकरार रखा. पिछले फैसले में अलग-अलग फैसला आया था. आपको बता दें कि 18 सितंबर 2017 को तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर पी. धनपाल ने 18 एआईएडीएमके विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. अन्नाद्रमुक के विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर पलनिसामी सरकार में अविश्वास जाहिर किया था. इस पर पार्टी के चीफ विप एस. राजेंद्रन ने स्पीकर से शिकायत की थी. सदस्यता रद्द होने के बाद विधायक हाई कोर्ट चले गए थे. 20 सितंबर 2017 को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को इन विधायकों की सीटें खाली घोषित करने से रोक दिया था.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के शशिकला गुट के नेता टीटीवी दिनाकरण ने 18 पार्टी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट द्वारा तमिलनाडु विधानसभा स्पीकर के फैसले को बरकरार रखे जाने पर प्रतिक्रिया में कहा, "यह हमारे लिए झटका नहीं है... यह तजुर्बा है, और हम हालात का सामना करेंगे... इन 18 विधायकों से मिलने के बाद भविष्य की रणनीति तय की जाएगी..."
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तमिलनाडु में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के 18 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने पार्टी से हटाए गए उप महासचिव टीटीवी दिनाकरन के प्रति निष्ठा रखने वाले इन विधायकों को दल-बदल संबंधी नियम के तहत अयोग्य घोषित किया था. विधानसभा सचिव के. भूपति ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के खिलाफ पिछले माह बगावत करने वाले 18 विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुरूप बनाए गए दल-बदल विरोधी एवं अयोग्यता कानून 1986 के तहत यह कदम उठाया गया. इन विधायकों ने अन्य लोगों के साथ 22 अगस्त को तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर से मुलाकात कर कहा था कि वह पलानीस्वामी में विश्वास खो चुके हैं, जिन्हें दिनाकरन ने चुनौती दी है. असंतुष्ट विधायकों में से एक एसकेटी. जकियां ने बाद में पलानीस्वामी का समर्थन करने के लिए खेमा बदल लिया था.
ये विधायक तभी से ही मुख्यमंत्री को हटाने की मांग कर रहे थे. पलानीस्वामी और तत्कालीन विद्रोही नेता तथा मौजूदा उप मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले गुटों के औपचारिक विलय के एक दिन बाद 22 अगस्त को यह बैठक हुई थी. सरकार के मुख्य सचेतक एस. राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष से पार्टी विरोधी गतिविधियों और मुख्यमंत्री के खिलाफ विद्रोह करने के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी.
अयोग्य घोषित किए गए विधायकों के नाम
थंगा तमिल सेलवन, आर मुरुगन, मारियुप कन्नेडी, के काथीरकमू, सी जयंती पद्मनाभन, पी पलनिअप्पन, वी. सेंथिल बालाजी, सी. मुथैया, पी. वेत्रिवेल, एनजी. पार्थीबन, एम. कोठांदपानी, टीए. एलुमलै, एम. रंगासामी, आर. थंगादुराई, आर. बालासुब्रमणी, एसजी. सुब्रमण्यम, आर. सुंदरराज और के. उमा महेश्वरी हैं.
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