यह ख़बर 11 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

तमिलनाडु में पुलिस ने भीड़ पर गोली चलाई, 3 मरे

खास बातें

  • रामनाथपुरम जिले के पारामाकुडी में पुलिस ने हथियारों से लैस और पथराव कर रहे लोगों की उग्र भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई।
चेन्नई:

तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले के पारामाकुडी में पुलिस ने हथियारों से लैस और पथराव कर रहे लोगों की उग्र भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, मदुरै में ऐसी ही एक अन्य घटना में दो लोग घायल हो गए। पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। पारामाकुडी में पुलिस ने जिन लोगों पर गोलीबारी की, वे तमिझागा मक्काल मुनेत्र कड़गम (टीएमएमके) के संस्थापक जॉन पांडियन को हिरासत में लिए जाने का विरोध कर रहे थे। पुलिस की गोलीबारी और भीड़ की ओर से पथराव में पुलिसकर्मी सहित 30 लोग घायल हो गए। घटना के बाद पारामाकुडी और आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। चेन्नई से 450 किलोमीटर दूर पारामाकुडी में हिंसा उस वक्त भड़की जब तूतीकोरिन पुलिस ने पांडियन को हिरासत में ले लिया। वह दलित नेता एमैनुअल सेकरन की स्मृति में आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे। पुलिस के अनुसार, पांडियन के समर्थकों ने सड़कों पर प्रदर्शन तथा यातायात बाधित किया। इसके बाद उन्होंने पुलिस और उनके दूसरे वाहनों पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने पहले लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़कर उन्हें तितर-बितर करने का प्रयास किया। लेकिन हिंसा बढ़ती गई और भीड़ ने पुलिस की कुछ गाड़ियों में आग लगा दी, जिसके बाद उनकी ओर से गोली चलाई गई। उधर, मदुरै में भी पुलिस ने पांडियन की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चलाई, जिसमें प्रकाश और बालकृष्णन नाम के दो व्यक्ति घायल हो गए। इस बीच, पीएमके संस्थापक एस. रामदौस ने पारामाकुडी में हुई पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच कराने और इस घटना में मारे गए तथा घायल हुए लोगों को आर्थिक सहायता देने की मांग की।


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