रक्षा डीलर और मंत्री के ओएसडी के बीच 355 बार फोन पर हुई बातचीत, दस्‍तावेजों से पता चला

रक्षा डीलर और मंत्री के ओएसडी के बीच 355 बार फोन पर हुई बातचीत, दस्‍तावेजों से पता चला

नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

लंदन में रॉबर्ट वाड्रा के लिए बेनामी घर खरीदने वाले रक्षा डीलर संजय भंडारी और उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू के ओएसडी अप्‍पा राव के बीच पिछले एक साल में 355 बार फोन पर बातचीत हुई। पिछले महीने भंडारी के ठिकानों पर मारे गए छापों के दौरान मिले दस्‍तावेजों से ये बात सामने आई है। राजू के ओएसडी अप्‍पा राव ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि भंडारी ने उनको सैकड़ों फोन कॉल नहीं किए। ये कॉलें इतनी कम थीं कि उनको संख्‍या भी याद नहीं है।

ओएसडी राव ने यह भी कहा कि भंडारी, उड्डयन मंत्री से मिलने के लिए उनके ऑफिस "तीन या चार बार" गए थे। भंडारी ने राजू से एयरक्राफ्ट के कलपुर्जे खरीदने का कारोबारी होने के नाते मुलाकात की थी। इसके साथ ही राव ने यह भी बताया कि करीब डेढ़ साल पहले बेंगलुरु में एक एयर शो के दौरान पहली बार राजू ने भंडारी से मुलाकात की थी। उल्‍लेखनीय है कि गजपति राजू भाजपा की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी के सदस्‍य हैं।

इससे पहले मंगलवार को भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एनडीटीवी से कहा था कि यह सही है कि व्‍यक्तिगत तौर पर भंडारी को जानते हैं लेकिन उनका उससे कोई पेशेवर नाता नहीं है। उन्‍होंने कहा, "निश्चित रूप से व्‍यावसायिक दोस्‍ती नहीं है बल्कि सामाजिक स्‍तर पर निजी दोस्‍ती है। अब चूंकि कांग्रेस इस मामले की जांच के लिए कह रही है तो मैं यह कहना चाहूंगा कि इससे मुझे कोई समस्‍या नहीं है। इस मामले की जांच होनी चाहिए ...मेरे पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है।"

इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि भाजपा रॉबर्ट वाड्रा को तो निशाना बना रही है लेकिन भंडारी के साथ संबंधों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है।

उल्‍लेखनीय है कि भाजपा के सत्‍ता में आने के बाद इंटेलीजेंस ब्‍यूरो की एक रिपोर्ट में भंडारी के कथित रक्षा कारोबार पर सरकार को आगाह किया गया था और रक्षा मंत्रालय से उससे दूर रहने का आग्रह किया था। इन सबके बावजूद यह माना जाता रहा है कि भंडारी के राजनेताओं से करीबी संबंध रहे हैं। इस हफ्ते भंडारी को जांच एजेंसियों के समक्ष पेश होने के लिए भेजे गए तीन समन के बावजूद बीमारी का हवाला देते हुए वह पेश नहीं हुए।

सरकार ने इस मामले में जांच का दायरा दुबई और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड तक बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि इन जगहों पर फर्जी कंपनियां बनाकर भंडारी ने इनके जरिये लंदन और दुबई में 25 करोड़ रुपये की दो संपत्तियां खरीदीं।


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