इराक के मोसूल से अगवा 39 भारतीय क्या वाकई मारे गए? क्या सच बोल रहा है हरजीत मसीह?

इराक से लौटा हरजीत मसीह

चंडीगढ़:

पिछले साल इराक में जंग छिड़ने के बाद मोसुल शहर से अगवा किये गए 40 भारतियों में से एक गुरदासपुर के हरजीत मसीह ने दवा किया है कि उसके बाकी साथी आईएसआईएस के आतंकियों के हाथों क़त्ल हो चुके हैं।

लेकिन विदेश मंत्रालय ने हरजीत के इस दावे को ख़ारिज कर दिया है। हरजीत मसीह आतंकियों की गोली से बच गया था और इराक स्थित भारतीय उच्चायोग की मदद से वतन लौट आया है।

संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान के मोहाली स्थित आवास पर हरजीत मसीह अपने रिश्तेदारों के साथ पंहुचा और मीडिया के साथ अपना राज़ साझा किया।

अपनी जांघ पर गोली के ज़ख्म दिखाते हुए हरजीत मसीह कहता है कि अगर उसका कोई साथी ज़िंदा बच गया हो तो सबसे ज़्यादा ख़ुशी उसे होगी। लेकिन 15 जून का दिन वह कभी नहीं भूलेगा। मौत उसे बेहद करीब से छूकर निकल गयी थी।

हरजीत और उसके साथियों को वतन वापस भेजने के नाम पर आईएसआईएस के आतंकियों ने कंस्ट्रक्शन कंपनी से 50 बांग्लादेशियों के साथ 11 जून को अगवा किया। इसके बाद उन्हें आईएसआईएस आतंकियों के दूसरे ग्रुप को सौंप दिया गया। फिर दो दिन बाद एक नया ग्रुप सबको अपने साथ किसी और ठिकाने पर ले गया।

यहां बांग्लादेशियों को भारतियों से अलग कर दिया गया और फिर अगले दिन सभी भारतियों को एक बख़्तरबंद गाड़ी में डालकर किसी पहाड़ी पर ले जाया गया। आतंकियों ने यहां सबके फ़ोन और कैश ले लिए और उलटी तरफ मुंह करके खड़े होने को कहा और फायरिंग शुरू कर दी। हरजीत ने अपने दोनों तरफ साथियों को गिरते देखा। फायरिंग करीब 2 से 3 मिनट चली। एक गोली हरजीत कि जांघ छूकर निकल गयी, वह भी नीचे गिरा। साथ में खड़ा भारतीय उसके ऊपर गिर गया।

आतंकियों के जाने के करीब 15 मिनट बाद हरजीत उठा और अपने साथियों को आवाज़ लगाई। लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। हरजीत हाईवे पर पंहुचा और एक गाड़ी वाले  से मदद मांगी लेकिन बदकिस्मती से वह हरजीत को उन्ही आतंकियों के पास ले गया। हरजीत ने यहां बताया कि उसका नाम अली है और वह बांग्लादेशी है।

तब जाकर उसकी जान बची। आतंकियों ने उसका पता पूछा और अगले दिन वापस मोसुल उसकी कंपनी में पंहुचा दिया जहां उसने एक जानकार कैंटीन वाले को पूरा वाकया बताया। वह शख्‍स हरजीत को एर्बिल के बॉर्डर तक छोड़ गया जहां पहुंचकर उसने भारतीय उच्चायोग से संपर्क साधा। एक हफ्ता इराक में रखने के बाद हरजीत को सरकार भारत ले आयी। लेकिन पिछले 10 महीने से उसे परिवार से अलग रखा गया।

हरजीत को बताया गया कि उसकी जान को खतरा है। उसे नौकरी का वायदा किया गया लेकिन कभी नॉएडा, कभी बैंगलोर और फिर धर्मशाला के चक्कर काटने के बाद आख़िरकार हरजीत अपने घर आ गया। वह आम ज़िन्दगी जीना चाहता है और चाहता है कि सरकार कि एजेंसियां उसे और उसके परिवार को तंग न करें।

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लेकिन विदेश मंत्रालय को हरजीत कि बात पर यकीन नहीं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि हरजीत मंत्रालय के संरक्षण में था लेकिन अब वह उनके संपर्क में नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक सभी 39 भारतीय सुरक्षित हैं और उसकी तलाश जारी रहेगी।