करीब 59 हजार करोड़ रुपये की राफेल डील फाइनल, 23 सितंबर को होंगे सौदे पर हस्ताक्षर

करीब 59 हजार करोड़ रुपये की राफेल डील फाइनल, 23 सितंबर को होंगे सौदे पर हस्ताक्षर

खास बातें

  • 36 राफेल लड़ाकू विमानों का हुआ है सौदा
  • फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां वेस ली ड्रियान भारत आकर करेंगे हस्ताक्षर
  • वर्ष 2007 से हो रही थी राफेल खरीदने की तैयारी
नई दिल्ली:

एक दशक बाद आखिरकार भारतीय वायुसेना को फ्रांस के आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल मिलना आधिकारिक तौर पर तय हो गया है. एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक, आगामी 23 सितंबर को भारत फ्रांस के साथ राफेल डील पूरी कर लेगा.

सूत्रों के मुताबिक, यह सौदा 7.87 बिलियन यूरो यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपये में होगा. इस सौदे के अंतर्गत 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत को मिलेंगे. फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां वेस ली ड्रियान डील पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत आएंगे.

7.87 अरब यूरो में से, फ्रांस 50 फीसदी ऑफसेट प्रावधान पर भी सहमत हो गया है. इसका मतलब यह है कि इस क्लॉज़ के तहत फ्रांस सौदे का 50 प्रतिशत भारत में फिर से निवेश करेगा या इतनी ही राशि सैन्य उपकरणों में निवेश करेगा.
 
भारत-फ्रांस के बीच हुए  अंतर-सरकारी समझौता के मुताबिक कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी शामिल थी. वहीं, सरकार ने दावा किया है कि वह सौदेबाजी में राफेल के दामों को करीब 4500 करोड़ रुपये कम करवाने में सफल रही है.

बता दें कि इसी साल जनवरी में गणतंत्र दिवस पर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद जब मुख्य अतिथि थे तब सभी की निगाहें  इस सौदे पर टिकी हुई थी लेकिन पैसों को लेकर बात नहीं बन पाई थी. इसका कारण यह था कि भारत कीमतें कम करवाना चाहता था. बताया जाता है कि 26 जनवरी को रात दो बजे तक कीमतों के लेकर चर्चा हुई थी. बाद में भारत और फ्रांस ने कीमत का उल्लेख किए बिना ही एग्रीमेंट किया था.

भारतीय नौसेना के लिए यह सौदा खुशी के साथ थोड़ा गम देने वाला है. एक ओर जहां उसे आधुनिक श्रेणी के विमान मिलेंगे वही, दूसरी ओर उसकी जरूरत पूरी नहीं हो पाई है क्योंकि भारतीय नौसेना के लिए यह सौदा खुशी के साथ थोड़ा गम देने वाला है. एक ओर जहां उसे आधुनिक श्रेणी के विमान मिलेंगे वही, दूसरी ओर उसकी जरूरत पूरी नहीं हो पाई है क्योंकि भारत को कम से कम 126 स्कावड्रन की दरकार थी.

भारत को फिलहाल कम से कम 42 स्कावड्रन की जरूरत है और वर्तमान में उसके पास 32 स्कावड्रन हैं. यह संख्या और कम हो जाएगी क्योंकि मिग-21 फाइटर विमान के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है. वहीं, नए विमान 2019 से बेड़े में शामिल होंगे.
 


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